ऊंची दोस्ती पर कविता Friendship poem and para please
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जब कभी दुःखने लगे दिल, जब कभी मन छलक जाये,
फोन कर लेना ऐ दोस्त ।
जिन्दगी गुलशन है, तो तपती सी रेगिस्तान भी है, हर डगर जानी हुई सी, हर डगर अनजान भी है।
जब कोई बीता हुआ लम्हा, तुम्हें जी भर रुलाये,
फोन कर लेना ऐ दोस्त ।
जिन्दगी में गम बहुत हैं, दिल में उनको पालना मत, कसम है तुमको हमारी,
दोस्त, खुद को सालना मत! रात जब डसने लगे या दिन का सूनापन सताये,
फोन कर लेना ऐ दोस्त ।
तुम नहीं महसूस कर पाओगे कि मजबूर हूं मैं, तुम नहीं महसूस कर पाओगे, तुमसे दूर हूं मैं।
जब कोई टूटा हुआ सपना तुम्हें रह-रह डराये,
फोन कर लेना ऐ दोस्त ।
दोस्त, मैं अल्फाज के फाहों से आंसू पोंछ दूंगा, हर कसक, हर दर्द, हर तकलीफ, तुमसे बाँट लूँगा, और जब मीठी-सी कोई याद, तुमको गुदगुदाये,
फोन कर लेना ऐ दोस्त ।
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