Physics, asked by roshangalfat2020, 4 months ago

ऊतमागतिकी का दितिय नियम​

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Answered by 1230archishmaniron
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ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम

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ऊष्मागतिकी का द्वितीय सिद्धान्त प्राकृतिक प्रक्रमों के अनुत्क्रमणीयता को प्रतिपादित करता है। यह कई प्रकार से कहा जा सकता है। आचार्यों ने इस नियम के अनेक रूप दिए हैं जो मूलत: एक ही हैं। यह ऊष्मागतिक निकायों में 'एण्ट्रोपी' (Entropy) नामक भौतिक राशि के अस्तित्व को इंगित करता है।

ऐसे उषक इंजन का निर्माण करना संभव नहीं है जो पूरे चक्र में काम करते हुए केवल एक ही पिंड से उष्मा ग्रहण करे और काम करनेवाले निकाय में बिना परिवर्तन लाए उस संपूर्ण उष्मा को काम में बदल दे (प्लांक-केल्विन)।

बिना बाहरी सहायता के कोई भी स्वत: काम करनेवाली मशीन उष्मा को निम्नतापीय पिंड से उच्चतापीय में नहीं ले जा सकती, अर्थात् उष्मा ठंडे पिंड से गरम में स्वत: नहीं जा सकती (क्लाज़िउस)।

द्वितीय सिद्धांत का स्वयंताथ्यिक प्रतिपादन ===

ऊपर हमने द्वितीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया है जो क्लाजिउस आदि के अनुसार है। इसके अतिरिक्त कैराथियोडोरी ने स्वयंताथ्यिक प्रतिपादन दिया है।

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