।
ऊधो
तुम हो अति बहभागी
अपरस रहन सनेह नगा में नाहिन मन अनुरागी,
पुरनि पात रहा जल भीतर, पारस देह न दागी
ज्यो जल माह तेल की गागरि बूंद नसाको लागी
प्रीति नदी में पाउँ न बोस्थों दृष्टि में रूप पराशी
सुस्दामा अबला हम भोरी गुर चाँटी ज्यों पागी . baav in hindi
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sorry i couldn't understand this question
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