V. 'स्नेह और जतन' शब्द क्रमशः हैं
(क) देशज और आगत (ख) आगत और तद्भव
(ग) त्तत्सम और तद्भव (घ) तद्भव और देशज
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the answer is aagat and tadbhav
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उत्तर :
स्नेह और जतन शब्द क्रमशः तत्सम और तद्भव हैं।
व्याख्या:
तत्सम शब्द वे मूल शब्द होते हैं जिनका उद्भव संस्कृत भाषा से हुआ है और उनके मूल रूप में तनिक भी परिवर्तन नहीं हुआ है। तत्सम शब्द अपने मूल रूप में सुरक्षित होते हैं।
स्नेह शब्द तत्सम शब्द है इसका अर्थ होता है प्रेम। स्नेह का तद्भव शब्द नेह होगा। स्नेह शब्द ही कालांतर में नेह शब्द में सरलीकृत हो गया।
तद्भव वे शब्द होते हैं जो भाषा परिवर्तन की प्रक्रिया से गुज़र कर अपना मूल रूप परिवर्तित कर लेते हैं। इनका विकास मुख्यता तत्सम शब्दों से ही होता है।
जतन शब्द का अर्थ होता है प्रयास करना। इसका तत्सम या मूल शब्द है प्रयत्न। प्रयत्न शब्द ही कालांतर में जतन शब्द में सरलीकृत हो गया।
अत: विकल्प (ग) तत्सम और तद्भव सही है।
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