V विश्व स्तर पर भारत की पहचान निराली है स्पष्ट कीजिए
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विश्व स्तर पर भारत की पहचान निराली है।
भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति धर्म समाज कला साहित्य एवं विज्ञान प्रारम्भ से ही उत्कृष्ट रहें है। भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था। आर्थिक रुप से भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था तथा नैतिक औैर मानवीय आचरण में भारत अग्रणी रहा है। माता भूमिः पुत्रोहं पृथिव्याः और वसुधैव कुटम्बकम और सर्वे भवन्तु सुखिनः हमारी संस्कृति के आदर्श थें
1-हमारा संस्कृति और संचार सैनिक आक्रमण नहीं अपितु सांस्कृतिक विनिमय का स्वरुप रहा है
2-चीन की दीवार के उत्तरी दरवाजे पर संस्कृत भाषा में उल्लेखित यक्षो के द्वारा परमेश्वर हमारी रक्षा करें
3-रैम्जे म्यूर के अनुसार प्राकृतिक सौन्दर्य विविधता और वनस्पति उत्पादन में भारत का विश्व में कोई सानी नहीं है
4-वाल्टर रैले के अनुसार प्रथम मानव प्राणी का निर्माण भारत खण्ड में हुआ
5-वाल्तेयर के अनुसार पाश्चात्य राष्ट्र ज्ञान के लिये भारत के सदैव ऋणी रहेगे।
6- मैक्समूलर के अनुसार यदि कोई मुझसे पूछे की मानवीय अतःकरण और बुद्धि की परिपूर्णता व शक्ति किस देश में एवं संसार के गूढतम रहस्यों का विश्लेषण किस देश में हुआ तो मै उत्तर दूंगा कि हिन्दुस्तान में।
7-विभिन्न देशो की संस्कृतियां भारत में आई और आत्मसात हो गई लेकिन भारतीय संस्कृति सदैव सर्वोपरि रहीं है।
8-शून्य का आविष्कार भारत से अरबों द्वारा पश्चिम में पहूचा।
इन सभी उदाहरणों से यह कहा जा सकता है कि भारत ज्ञान एवं संस्कृति के रुप में सदैव श्रैष्ठतम रही
भारत प्राचीन काल से ही पूरे विश्व का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है तभी तो भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त है। आज विज्ञान ने जितनी भी तरक्की की है उसका मार्गदर्शन भारत ने ही किया है।
महाभारत में संजय को दिव्य दृष्टि मिली थी जो युद्ध का आंखों देखा हाल धृतराष्ट्र को सुना सकता था उससे ही टेलीविजन बनाने का सुझाव मिला। रामायण में पुष्पक विमान का वर्णन है जिसको देखकर के हवाई जहाज का निर्माण किया गया।
भगवान श्री कृष्ण मुख से निकली हुई दिव्य एवं अलौकिक वाणी श्रीमदभगवतगीता संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करती है। जब विश्व की सभ्यता फली फूली भी नहीं थी तब भारत सोने की चिड़िया बन चुका था।