वाच्य परिवर्तन-
भगवान हमारी रक्षा करता है |
(कर्मवाच्य में बदलिए)
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Answer:
कर्मवाच्य में भगवान हमारी रक्षा करता है -भगवान के द्वारा हमारी रक्षा की जाति है।
वाच्य क्रिया के उस परिवर्तन को कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का पता चलता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता (पहचान) है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वाक्य में इस्तेमाल क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष कर्ता, कर्म या भाव में से किसके अनुसार है। आइए वाच्य के बारे में और विस्तार से जानते हैं।
वाच्य का अर्थ
वाच्य का अर्थ है— वाणी या कथन.. यहॉं वाणी का अर्थ— वक्ता की वाणी या वक्ता का कथन है। वस्तुत: वाच्य किसी एक बात को थोड़े से अर्थ के अंतर के साथ कहने का तरीका है। इस तरह कहे गए वाक्यों कथनों की सरंचना अलग हो जाती है।
वाच्य के भेद
वाच्य के 3 भेद होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
कर्तृवाच्य:
जिस वाक्य में कर्ता मुख्य हो और क्रिया कर्ता के लिंग, वचन एवं पुरूष के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहते है। जैसे –
लड़किया बाजार जा रही है।
मां रामायण पढ़ रही है।
कुमकुम खाना खाकर सो गई।
इन वाक्यों में जा रही है, पढ़ रहा हूँ, सो गई ये सभी क्रियाएं कर्ता के अनुसार आई है।
कर्मवाच्य:
जिस वाक्य में कर्म मुख्य हो तथा इसकी सकर्मक क्रिया के लिंग, वचन व पुरूष कर्म के अनुसार हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। जैसे –
लड़कियों द्वारा बाज़ार जाया जा रहा है।
मेरे द्वारा रामायण पढ़ी जा रही है।
वर्षा से पुस्तक पढ़ी गई।
इन वाक्यों में पढ़ी जा रहीं है, पढ़ी गई क्रियाएं कर्म के लिंग, वचन, पुरूष के अनुसार आई है।
भाववाच्य:
जिस वाक्य में अकर्मक क्रिया का भाव मुख्य हो, उसे भाववाच्य कहते हैं| जैसे –
हमसे वहाँ नहीं ठहरा जाता।
उससे आगे क्यों नहीं पढ़ा जाता।
मुझसे शोर में नहीं सोया जाता।
इन वाक्यों में ठहरा जाता, पढ़ा जाता और सोया जाता क्रियाएं भाववाच्य की है।