Hindi, asked by pranavkr1975, 11 months ago

वाचन के महत्व एवं प्रकार का वर्णन करे​

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Answered by solankivivek
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वाचन के प्रकार

भाषा शब्द से ही ज्ञात होता है कि भाषा का मूल रूप उच्चरित रूप है। इसका दृष्टिकोण प्रतीक लिपिबद्ध होता है। मुद्रित रूप लिपिबद्ध रूप का प्रतिनिधि है। जब हम बच्चे को पढ़ाना आरम्भ करते हैं तो अक्षरों के प्रत्यय हमारे मस्तिष्क के कक्ष भाग में क्रमबद्ध होकर एक तस्वीर बनाते हैं, और हम उसे उच्चरित करते हैं। यह क्रिया जिसमें शब्दों के साथ अर्थ ध्वनि भी निहित है। वाचन कहलाती है।

. सस्वर वाचनः

स्वर सहित पढ़ते हुए अर्थ ग्रहण करने को सस्वर वाचन कहा जाता है। यह वाचन की प्रारम्भिक अवस्था होती है। वर्णमाला के लिपिबद्ध वर्णों की पहचान सस्वर वाचन के द्वारा ही करायी जाती है।

सस्वर वाचन में ध्यान रखने योग्य बातें

सस्वर वाचन भावानुकूल करना चाहिए।

सस्वर वाचन आदि करते समय विराम चिन्हों का ध्यान रखना चाहिए।

सस्वर वाचन करते शुद्धता एवं स्पष्टता का ध्यान रखना चाहिए।

स्वर में यथा सम्भव स्थानीय बोलियों का पुट नहीं होना चाहिए।

सस्वर वाचन मंे आत्मविश्वास का होना आवश्यक है।

सस्वर वाचन में गुण

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