English, asked by rituraj0000kumar, 9 months ago

व्हाट वास केदार बाबू​

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Answered by sahu3400u
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साहित्यकार डॉ जीवन सिंह ने कहा कि केदार बाबू की रचनाओं में वो बात है जो हिंदी में किसी दूसरे कवि के पास नही है। उनकी दो कविताएं 'चन्द्रगहना से लौटती बेर' और 'बसन्ती हवा' ही बची रहें तो अमर हो गई। वह बांदा के गौरव थे।

सोमवार को जनकवि केदारनाथ अग्रवाल के 108वें जन्मदिन पर कचहरी स्थित कवि केदार भवन में साहित्यकारों ने उन्हें याद किया। मौजूद लोगों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इलाहाबाद से आये कवि अजित पुष्कल ने कहा कि केदार बाबू ने साहित्यिक-पीढ़ियों के सृजन किया औऱ इंसानियत के पक्ष में काम करने वालों की श्रेष्ठता का बयान किया। कवि जयकान्त शर्मा को इस अवसर पर केदार-स्मृति सम्मान प्रदान करने की घोषणा की गई । दिल्ली में अस्पताल में भर्ती होने के कारण अगले सप्ताह उनके वापस आने पर उनके घर जाकर 5000 की राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। जीवन सिंह औऱ अजित पुष्कल को भी बार के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह और आनंद सिन्हा ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में च्द्रिरका प्रसाद दीक्षित, पूर्व जिला जज शक्तिकांत, जलेस संयोजक कवि केशव तिवारी, राकेश सिन्हा, इकबाल बहादुर सिंह, ए ड़ी आर के उत्तर प्रदेश संयोजक अनिल शर्मा, चंद्रपाल कश्यप आदि मौजूद रहे। संचालन सुधीर सिंह ने किया।

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