Business Studies, asked by PragyaTbia, 1 year ago

वैज्ञानिक प्रबंध की परिभाषा दीजिए I किन्ही तीन सिद्धांतों के बारे में बताइए I

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Answered by TbiaSupreme
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"वैज्ञानिक प्रबंध से यह आशा है कि आप वास्तव में क्या करना चाहते हैं तथा उसको करने के सबसे आसान तरीके क्या हैं|वैज्ञानिक प्रबंध का उद्देश्य सबसे अच्छा तरीका चुनने से हैवैज्ञानिक प्रबंध का सिद्धांत कम से कम मानव क्षमता से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करना है यह सिद्धांत मुख्यता छोटे व्यवसायों में लागू होता है|वैज्ञानिक सिद्धांत को एफ डब्ल्यू टेलर द्वारा दिया गया था |

वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत निम्नलिखित हैं-

1-विज्ञान पद्धति, न कि अंगूठा टेक नियम

टेलर का मानना था कि यदि सभी प्रबंधक अपने अपने नियमों का पालन करेंगे तो वह ज्यादा से ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं कर पाएंगे इसलिए टेलर ने यह कहा की सभी प्रबंधकों को कई नियम अपनाने चाहिए तथा उनको बार-बार प्रयोग करना चाहिए फिर जो सबसे अच्छा हो उसका चुनाव करना चाहिए|

2- सहयोग

प्रबंधकों तथा कर्मचारियों के बीच में किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं होना चाहिए दोनों को ही दोनों को ही एक दूसरे का साथ देना चाहिए उन दोनों को आपस में नहीं लड़ना चाहिए और कर्मचारियों को कभी भी अपनी किसी नाजायज मांग के लिए हड़ताल पर नहीं जाना चाहिए साथ ही साथ प्रबंधक को अपने कर्मचारियों का अच्छे से ख्याल रखना चाहिए|

3- समन्वय

प्रबंधक मालिक तथा कर्मचारियों के बीच में माध्यम का कार्य करता है प्रबंधक को सभी कार्य कर्मचारियों के द्वारा पूर्ण कराने होते हैं कभी कभी उनके बीच रिश्ते बिगड़ जाते हैं जो कि मालिक ,नौकर तथा प्रबंधक तीनों के लिए नुकसानदायक होता है| इसलिए इन सब से बचने के लिए सभी को एक दूसरे के प्रति अच्छा भाव रखना चाहिए|

"

Answered by ContentBots1
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Answer:

वैज्ञानिक प्रबन्धन (जिसे टेलरवाद और टेलर पद्धति भी कहते हैं) प्रबन्धन का एक सिद्धान्त है जो कार्य-प्रवाह (workflow) का विश्लेषण एवं संश्लेषण करती है और इस प्रकार श्रमिक उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता करती है। इसके मूल सिद्धान्त १८८० एवं १८९० के दशकों में फ्रेडरिक विंस्लो टेलर द्वारा प्रतिपादित किये गये जो उनकी रचनाओं "शॉप मैनेजमेन्ट" (१९०५) तथा "द प्रिन्सिपल्स ऑफ साइन्टिफिक मैनेजमेन्ट" (१९११) के द्वारा प्रकाश में आये। टेलर का मानना था कि परिपाटी और "रूल ऑफ थम्ब" पर आधारित निर्णय के स्थान पर ऐसी तरीकों/विधियों का उपयोग किया जाना चाहिये जो कर्मिकों के कार्य का ध्यानपूर्बक अध्ययन के फलस्वरूप विकसित किये गये हों।

फ्रेडरिक टेलर

वस्तुत: टेलरवाद, दक्षता वृद्धि का दूसरा नाम है। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त एवं बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में मानव-जीवन में दक्षता बढ़ाने, बर्बादी कम करने, प्रयोगाधारित विधियों का उपयोग करने आदि की बहुत चर्चा हुई। टेलरवाद को इनका ही एक अंश माना जा सकता है।

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