विज्ञान – वरदान या अभिशाप -विषय पर लगभग 100 से 150 शब्दों में अनुच्छेद
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this is very long ... anwer
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प्रस्तावना- आज का युग विज्ञान का युग है। आज हमें जितनी भी सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं, वे सब विज्ञान के कारण हैं। इसने हमारे जीवन में अमृत घोल दिया है। इसलिए यह हमारे लिए वरदान है। पर विज्ञान ने कुछ ऐसे कार्य भी किए हैं, जिनसे मानव जीवन को खतरा पैदा हो गया है। इस दृष्टि से विज्ञान मानव जाति के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है
विज्ञान वरदान- विज्ञान वरदान है। यह उस अलादीन के चिराग के समान है जिससे मनुष्य की सारी आवश्यकताएँ तुरन्त पूरी हो जाती हैं। नित्य नए नए आविष्कार हो रहे हैं। नई नई वस्तुएँ बाजारों में आ रही हैं। ये सारी वस्तुएँ विज्ञान के आविष्कारों का परिणाम हैं। इनसे जीवन में सुख और सुविधाएँ बढ़ रही हैं।
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विज्ञान के आविष्कारों के कारण स्थान और समय की दूरी भी समाप्त हो रही है। एक समय था जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मनुष्य को कई दिन, महीने और कई बार कई कई साल तक लग जाते थे। पर अब दिनों में पूरी होने वाली यात्रा घंटों में पूरी हो जाती हैं। तेज गति से चलने वाले वायुयानों ने देशों की दूरी को समाप्त कर दिया है। टेलीफोन तार बेतार के तार आदि वैज्ञानिक आविष्कारों से विश्व के एक कोने में घटित होने वाली घटनाओं के समाचार मिनटों में विश्व के दूसरे कोने में पहुँच जाते हैं।
बटन युग- विज्ञान युग वास्तव में बटन युग है। बटन दबाइए पंखा आपको हवा करने के लिए तैयार हो जाता है। एक बार फिर बटन दबाइए, आप की आज्ञा का पालन करते हुए पंखा हवा करना बंद कर देता है। आपके बटन दबाने की जरूरत है, बस टी.वी. चल पड़ता है, सुन्दर दृश्य पर्दे पर दिखाई देने लगते हैं, किसी की भी सुरीली आवाज सुनाई देने लगती है। गायक आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाता है।
जरा सोचिए यह सब विज्ञान के ही तो कारण है। पुस्तकें, समाचार पत्र, रेडियो, मोटर गाडि़याँ विज्ञान के वरदानों के कारण ही तो हैं।
विज्ञान अभिशाप भी है- विज्ञान वरदान है। यह सच है। विज्ञान अभिशाप करके मानव जाति के ध्वंस और विनाश की सामग्री तैयार कर दी है। इस एक आविष्कार ने यह सिद्ध कर दिया है कि विज्ञान अभिशाप है। कारण स्पष्ट है। एक अणु ब मके प्रयोग से लाखों इंसान मौत के मुँह चले जाएँगे। इसका प्रभाव उन तक ही सीमित नहीं रहेगा। आगे आने वाली सन्तानें भी इसके कुप्रभाव से नहीं बच पाएँगी। इतना भयंकर और हानिकारक होगा। इसका दुष्परिणाम। ऐसी हालत में विज्ञान अभिशाप बन कर रह जाएगा।
उपसंहार- सच्चाई तो यह है कि विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी है। यदि मानव विज्ञान का प्रयोग मानव जाति के हित के लिए करेगा तो यह वरदान सिद्ध होगा। यदि मनुष्य ने इसका प्रयोग मानव के विनाश के लिए किया तो यह मानव मात्र के लिए अभिशाप बन जाएगा। पर इसमें विज्ञान का कोई दोष नहीं। इसमें सब से बड़ा दोष तो मानव का है जो मानव के विनाश के लिए विज्ञान का प्रयोग कर रहा है। अतः विज्ञान का प्रयोग मानव को इस प्रकार करना चाहिए जिससे मानव मात्र का कल्याण हो, विनाश नहीं।