विकास में प्रति व्यक्ति आय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें?
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भारत जैसे बड़े देश में जहां जनसंख्या काफी तेजी से बड़ी रही है यहां प्रति व्यक्ति आय कम है अशिक्षा का स्तर ज्यादा है एवं भषा जीवन शैली और संस्कृति की बहुतायत है। इस बात का अहसास निरंतर बढ़ता जा रहा है की विभिन्न आर्थिक समाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हम अपनी प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि करें। ऐसा करके ही हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते है तथा अपना जीवन स्तर ऊंचा करा सकते है।
यद्वीप पंचवर्षी योजनाओ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कायापलट के लिए अनेक उपाय किय गए है पर जनसंख्या में भरी वृद्धि तथा अन्य व्यवसायो में उस गति से विकास न होने केकारण विगत वर्षो में भूमि पर जनसंख्या का भर निरंतर बढ़ता गया है, जिससे गरीबी और बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई। आज के आधुनिक युग में कृषि क्षेत्र में हुई सुधर बिज्ञान प्रौधोगिकी एवं अन्य क्षेत्रो में हो रहे गुणत्वं विकास के पश्चात भी लोगो को रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता है, जिस कारण स्वभावत यह बेरोजगारी प्रति व्यक्ति आय को कम करके गरीबी को बढ़ावा देती है ठीक इसी परिपेक्ष्य में इस अतिरिक्त श्रमशक्ति के बोझ को कम करके गैर उसे गैर कृषि क्षेत्रो में रोजगार प्रदान करके कृषि उधोग बेरोगारी उन्मूलय और राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है ।
विकास में प्रति व्यक्ति आय पर संक्षिप्त टिप्पणी
Explanation:
प्रति व्यक्ति आय एक राष्ट्र या भौगोलिक क्षेत्र में प्रति व्यक्ति अर्जित धन की मात्रा का एक उपाय है। प्रति व्यक्ति आय का उपयोग किसी क्षेत्र के लिए औसत प्रति व्यक्ति आय निर्धारित करने और आबादी के जीवन स्तर और गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए किया जा सकता है। किसी राष्ट्र के लिए प्रति व्यक्ति आय की गणना उसकी जनसंख्या द्वारा देश की राष्ट्रीय आय को विभाजित करके की जाती है।
प्रति व्यक्ति आय जनसंख्या के सदस्य के रूप में प्रत्येक पुरुष, महिला और बच्चे, यहां तक कि नवजात शिशुओं को भी गिनाती है। यह एक क्षेत्र की समृद्धि के अन्य सामान्य मापों के विपरीत खड़ा है, जैसे कि घरेलू आय, जो सभी लोगों को एक छत के नीचे रहने वाले घर और परिवार की आय के रूप में गिना जाता है, जो एक परिवार के रूप में मायने रखता है जो जन्म, विवाह, या गोद लेने से संबंधित हैं।
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