India Languages, asked by monikamehra6215, 2 months ago

वृक्षों के महत्व पर श्लोक
अथवा (OR)
वृक्षों पर श्लोक​

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Answered by Anonymous
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Answer:

अर्थ – तालाब बनवाने, वृक्षरोपण करने, अैर यज्ञ का अनुष्ठान करने वाले द्विज को स्वर्ग में महत्ता दी जाती है; इसके अतिरिक्त सत्य बोलने वालों को भी महत्व मिलता है ।

द्विज का शाब्दिक अर्थ है जिसका दूसरा जन्म हुआ हो । हिंदु परंपरा के अनुसार आम तौर पर तीन वर्णों, ब्राह्मण, क्षत्रिय, एवं वैश्य के लिए द्विज शब्द प्रयुक्त होता है जिनमें यज्ञोपवीत की प्रथा रही है । यह बात कर्मकांडों से जुड़ी है । गहराई से सोचा जाए तो द्विज का अर्थ संस्कारित व्यक्ति से है । कहा गया है “जन्मना जायते शूद्र संस्कारैर्द्विज उच्यते” । अर्थात् जन्म से तो सभी शूद्र ही पैदा होते हैं, संस्कारित होने से ही वह द्विज होता है । संस्कारवान् से तात्पर्य है सदाचरण का जिसे पाठ दिया जा चुका हो, जैसा यज्ञोपवीत के समय किया जाता है । मात्र जनेऊ धारण करने से संस्कारित नहीं हो जाता है कोई; असल बात सदाचरण से बनती है । मैं समझता हूं उक्त श्लोक में द्विज का निहितार्थ यही है ।

यज्ञ का अर्थ सामान्यतः समिधा से प्रज्वलित अग्निकुंड में घी-तिल-जौ जैसे हवनीय सामग्री से हवन करने से लिया जाता हैं । किंतु मैं मानता हूं कि यज्ञ के अर्थ इससे अधिक व्यापक हैं । मेरी राय में यज्ञ का अर्थ विविध कर्तव्यों के संपादन से लिया जाना चाहिए जिनकी मनुष्य से अपेक्षा की जाती है । कदाचित् इसीलिए शास्त्रों में पंच महायज्ञों (भूतयज्ञ, मनुष्ययज्ञ, पितृयज्ञ, देवयज्ञ, एवं ब्रह्मयज्ञ) का उल्लेख मिलता है, जो मनुष्य और मनुष्येतर प्राणियों, पितरों, आदि के प्रति समर्पित रहते हैं । (देखें https://vichaarsankalan.wordpress.com/2010/09/07/ऋग्वैदिक-सूक्ति-आनोभद्र/)सत्य बोलने की महत्ता को तो विश्व के सभी समाजों में मान्यता प्राप्त है, भले ही व्यवहार में तदनुरूप आचरण विरले ही करते हों ।

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