वृक्ष ओर पंछी के बिच संवाद लिखो
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वैज्ञानिकों ने एक पक्षी के दिमाग में एक ऐसे हिस्से को ढूढने में कामयाबी पायी है,जिसमें लगभग 2000 जीन स्थित हैं और इसे एरिया एक्स नाम दिया गया है, ऐसा पहली बार हुआ की किसी चिडिय़ा के दिमाग के किसी हिस्से में संगीत की धुनों से जुड़े 1500 जींस देखे गए हों। यू.सी एल.ए. के वैज्ञानिकों ने इससे से पहले भी एरिया एक्स के 400 जींस को चिडिय़ाओं के चहचहाट के साथ उनके स्तरों में होने वाले बदलाव को नोट किया था..यू.सी.एल.ए.के एसोसीएट प्रोफेसर क़ा मानना है, कि इन 2000 में से कुछ जींस मानव मस्तिष्क में भी पाए जाते हैं, जिनका सम्बन्ध हमारे बोलने,गाने और गुनगुनाने से है। यह अध्ययन न्यूरोसाइंस के ऑनलाइन जर्नल न्यूरोन में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जींस एक नेटवर्क से लयबद्ध होते हैं और एक दूसरे से सुरताल में मिलकर जुड़े रहते हैं, इन्ही के कारण हर जीव अपनी भाषा एवं बोली से संवाद कायम करने में कामयाब होते हैं। इन्ही जींस में नयी आवाज पैदा करने से लेकर गीत-संगीत की धुनों को निकालने तक का राज छुपा है..यानि यह शोध सभी जीवों में गीत संगीत एवं धुनों की समानता को व्यक्त करता है ….शायद वह दिन दूर नहीं जब इन जींस में छुपे राज से हम पशु-पक्षियों के बीच भी संवाद कायम कर सकें ..।
चिड़ियाँ और पेड़ के बीच संवाद :
चूं चू चूं !! चुन चुन चुन !! कुहू कुहू ! काँव काँव ! सुबह सुबह इसी स्वर से चिड़ियों ने कलरव करना शुरू किया I
छोटी गोरैया बोली(पेड़ से ):बाबा बाबा !सारी चिड़ियाँ हल्ला कर रही हैं I तुम्हारी नींद उचट गयी न I मैं मनाकर रही थी कि थोड़ी देर चुप रहो I
पेड़ :नहीं बेटा ऐसा नहीं है ,जब मैं तुम्हारा बाबा हूँ तो मैं सोता कब हूँ I मुझे चिंता रहती है कि हमारी शाखाओं पर घोसले में छुपे पक्षी पर किसी तरह कि विपत्ति न आये I
गोरैया: तो तुम जगे थे बाबा ?मुझे लग रहा था कि तुम्हारी नींद उचट गयी I
पेड़ :बिटिया किसी भी बाबा को अपने नाती पोते पोतियाँ कभी बाधक बनते हैं क्या ?तुमलोगों की चहचहाहट ने तो प्रकृति में संगीत घोल दिया है Iपहले तुमलोग जगती हो उसके बाद अरुणोदय की लाली आती है I कितना अच्छालगता है तुम्हारा मधुर संगीत (गोरैया फुदक फुदक कर इतरा कर चली जाती है )
मैना :बाबा बाबा मैं जा रही हूँ दाना लाने तुम बच्चों को देखना I
पेड़: ठीक है बिटिया जाओ !अच्छी तरह जाना औए समय पर वापस आ जाना ,ज़रा कौवे को मेरे पास भेजो तो I
कौवा :(कांव कांव करता हुआ ) क्या बात है बताओ?
पेड़ : सुबह हो गयी है निकलो आसमान में उडो ,देर करोगे तो साथी आगे बढ़ जायेंगे I मैं चाहता हूँ की तुम आगे बढ़ो I
कौवा :मैं तो जा ही रहा था इसमें बताने की क्या जरूरत थी I
पेड़ :तुम कभी भी नहीं सुधर सकते ,मैंने तुम्हे भी शरण में रखा है I
कोयल : (कुहू कुहुह करते हुए )बाबा सरस्वती की वीणा लेकर मैं तुम्हारे चरणों में अर्पित करने आई हूँ I सोचती हूँ पहली प्रार्थना तुम्हारी हो जाए I
पेड़ :अच्छा आज मेरे लिए गाओगी ?
कोयल :हाँ बाबा I
पेड़ : गा I
कोयल : (गाती है ) I
"तरु की छाँव भी हमारी है ,ये तरु भी हमारा है I
हम जैसे असंख्य चिड़ियों को इसने दिया सहारा है II
इसकी आयु लम्बी हो हम यूँ ही नाचे गाये I
प्रकृति हमारी बनी रहे यूँ ही संगीत सुनाएँ II