विकलांगता शिक्षा में बाधक नहीं इस विषय पर दो मित्रों के बीच संवाद
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रिचा: हाय अनन्या कैसी हो
अनन्या: मैं ठीक हूं और तुम बताओ तुम कैसी हो.
रिचा: मैं भी बहुत अच्छी हूं पता है हमारे स्कूल की एक छात्रा ने ओलंपियाड में गोल्ड मेडल जीता.
अनन्या: अच्छा यह तो बहुत ही अच्छी बात है नाम क्या था उसका.
रिचा: नाम तो सलोनी था किंतु उसके बारे में एक बहुत ही रोचक बात यह है कि वह आंखों से देख नहीं सकती थी.
अनन्या: क्या बात है किंतु जब आंखें नहीं थी तो वह पढ़ कैसे पाती थी.
रिचा: वह ब्रेल लिपि के द्वारा पढ़ती थी पढ़ने में बहुत ही अच्छी थी कहीं और ध्यान नहीं लगाती थी दिन-रात पड़ती रहती थी और इसका फल यह हुआ कि उसने ओलंपियाड में गोल्ड मेडल जीता और हमारे स्कूल का नाम रोशन किया.
अनन्या: अब यह धरना खत्म हो रही है कि दिव्यांग कुछ कर नहीं सकते यह हमारे देश के लिए बहुत ही अच्छी बात है
रिचा: सही कहा अब हमारे देश के दिव्यांग भी नाम कर रहे हैं यह एक बहुत ही शुभ संकेत है हमारे देश के लिए अच्छा चलो अब मुझे घर जाना है मैं चलती हूं गुड बाय
अनन्या: गुड बाय