वाख”कविता का भावार्थ स्पष्ट कीजिए
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भावार्थ :- अपने इन पंक्तियों में कवयित्री कहती है की कई बार हम ज्ञान (अर्थात प्रभु भक्ति) के प्राप्ति के लिए सांसारिक मोह माया को छोड़कर त्याग और तपस्या में लग जाते हैं। ... और तभी हमारे अंदर समानता की भावना रह पायेगी इसके उपरांत ही हम प्रभु भक्ति में सच्चे मन से लीन हो सकते हैं। आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
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