वे खाते हैं हलुवा-पूडी, दूध-मलाई ताजी,
इन्हें नहीं मिलती पर सूखी रोटी और न भाजी |
वे
सुख
से रंगीन कीमती ओढें शाल-दुशाले,
पर इनके कंपित बदनों पर गिरते हैं नित पाले ।
वे हैं सुख साधन से पूरित सुघर घरों के वासी,
इनके टूटे-फूटे घर में छाई सदा उदाप्ती ।
कृती अ. आकलन कृति
ताजी
माजी
९.संजाल पूर्ण कीजिए | (२ अंक )
पद्यांश में प्रयुक्त व्यंजनों के नाम
बासी
उदारसी
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हमारी सरकार को जल प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिएँ। कूड़े-कचरे और प्लास्टिक को समुद्र में न फेंककर उनको रिसाइकल करके उन्हें ऊर्जा पैदा करने के प्रयोग में लाना होगा। जिन कारखानों से ज्यादा प्रदूषण होता है उन्हें बंद करने के आदेशों को जारी करना होगा। समय-समय पर लाल कुओं में लाल दवाईयों का छिडकाव करना होगा। जो पानी गंदा हो गया है उसे फिल्टर की सहायता से पीने योग्य बनाना होगा। जहाँ पर पानी हो वहाँ पर कूड़े-कचरे को फैलने से रोकना होगा।
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