वामीरो घर पहुंच कर कैसा महसूस करने लगी
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वामीरो घर पहुँच कर भीतर ही भीतर कुछ बैचेनी महसूस करने लगी। उसके भीतर तताँरा से मुक्त होने की एक झूठी झटपटाहट थी। एक झल्लाहट में उसने दरवाजा बंद किया और मन को किसी और दिशा में ले जाने का प्रयास किया। बार -बार तताँरा का याचना भरा चेहरा उसकी आँखों में तैर जाता। hope it's helpful to you
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