वामीरो सामने आने से झिझक रही थी
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¿ वामीरो सामने आने से झिझक रही थी...
✎... ‘तँतारा वामीरो की कथा’ में जब तँतारा वामीरो का प्रेम हो गया, और फिर बहुत दिनों तक तँतारा-वामीरो की मुलाकात नहीं हुई। तँतारा हमेशा वामीरो को ढूंढता रहता था। एक बार पासा गाँव में पशु मेले का आयोजन हुआ। वहाँ पर तँतारा-वामीरो को घूमने आया। उसकी आँखें वामीरो को ढूंढने में व्यस्त थीं। तभी नारियल के झुंड के पीछे से उसे कोई झांकता हुआ दिखाई दिया। उसने थोड़ा और करीब जाकर जब देखा तो उसे पता चला कि वह वामीरो थी। वामीरो भय के कारण सामने आने से झिझक रही थी। उसकी आँखें भरी थी और होंठ कांप रहे थे। तँतारा को देखते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी तथा तँतारा भी भाव-विह्वल होकर और किंकर्तव्यविमूढ़ होकर देखता रह गया। वामीरो की रोने की आवाज सुनकर उसकी मां वहां पर आ गई और दोनों को एक साथ देख कर गुस्सा हो गई।
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