वे मुस्कराते फूल नही
जिनको आता हे मुरझाना
वे तारो के दीप नही
जिनको भाता है बुझ जाना
वे निमल के मेघ नहीं
जिनको है घुल जाने की चाह
वह अनंत ऋतुराज नहीं
जिसने देखी जाने की राह
1) इस कविता के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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answer: वे मुस्कराते फूल नही
जिनको आता हे मुरझाना
वे तारो के दीप नही
जिनको भाता है बुझ जाना
वे निमल के मेघ नहीं
जिनको है घुल जाने की चाह
वह अनंत ऋतुराज नहीं
जिसने देखी जाने की राह
1) इस कविता के लिए उपयुक्त शीर्षक महादेवी वर्मा जी है|
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