Hindi, asked by sakshipagare539, 2 months ago

२) विना विचारे जे करें, से पाछे पछताय | काम विगारें आपनो, जग में होत हँसाय || जग में होत हँसाय, वित्त में चैन न आवैं खान-पान-सनमान, राग रंग मनहि न भावे || कह गिरिधर कविराय, दुख कछु टरत न टारे | खटकत है जिय माँहि, कियो जो विना विचारे ||भावार्थ लिखिये​

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Answered by variyadhairya16
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Answer:

आर्थत बिना विचार के कर्म करने से केवल पछतवा ही होता है जो विना सोच विचार कर कार्य करता है , वह अपना काम तो बिगाड ही लेता है वरन उसकि इस समाज मै जग हसाई भी होती है ।

इस समाज़ मै हसाई होने पर ह्रदय को शान्ति नही मिलती है और खान पान भी अच्छा नही लग्ता है इसलिये कविवर कहते है कि कर्म की गति को कौइ नही रोक सकता है ओर जो बिना विचारे काम करता है उसके ह्रदय मै वही बिना विचार का काम खटकता रहता है ॥

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