वाणी में शहद घोलना जरा प्यार से बोलवा सीख लीजे पक्तियों का भावार्थ
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खोलना सीख लीजे। मित्र, किसी भी परिस्थिति में दूसरे पर क्रोध में फट पड़ने के स्थान पर प्यार का प्रकाश फैलाना कहीं उचित है, क्योंकि क्रोध की प्रतिक्रिया में क्रोध ही मिलेगा और बात हाथ से निकल जाएगी। (यह तथ्य कभी नहीं भूलना चाहिए कि कड़वी बोली हमेशा संबंध बिगाड़ती ही है।)
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