विप्लव - रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव - रव से क्या तात्पर्य है ? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है ?
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- विप्लव-रव का अर्थ है → क्रांति के स्वर
- विप्लव-रव से छोटे ही (अर्थात् किसान, मजदूर, और शोषित वर्ग) हैं जिन्हें शोभा प्राप्त होती है क्योंकि शोषक वर्ग तो इसके आने की संभावना मात्र से ही घबरा जाते है।
#BAL
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विप्लव-रव' से कवि का तात्पर्य क्रांति से है। कवि के अनुसार जब क्रांति होती है, तो गरीब लोगों में या आम जनता में जोश भर जाता है। यह वही वर्ग है, जो शोषण का शिकार होते हैं। अतः जब समाज में क्रांति होती है, तो इन्हीं से आरंभ होती है। यही क्रांति के जनक होते हैं। क्रांति का आगाज़ होते ही नए और सुनहरे भविष्य के सपने संजोने लगते हैं। यह प्रसन्नता इनके चेहरे में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। कहा गया है कि यही वर्ग क्रांति के समय शोभा पाता है।
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