विप्रावदति' का कौन-सा अर्थ सर्वोपयुक्त है?
(क)झगड़ता है
(ख) ब्राह्मण कहता है
(ग) चापलूसी करता है
(घ) उत्तर देता है
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Answer:
किसी ने आप से कहा कि “आपके बालों का नया स्टाइल बहुत अच्छा है!” यह प्रशंसा है या चापलूसी? “आपके लिए यह सूट एकदम परफैक्ट है!” प्रशंसा या चापलूसी? “ऐसा खाना तो आज तक नहीं खाया!” क्या यह प्रशंसा है या चापलूसी? इस तरह जब कभी हमारी प्रशंसा की जाती है, हम सोच में पड़ सकते हैं कि क्या वे वाक़ई संजीदगी और सच्चे दिल से हमारी प्रशंसा कर रहे हैं या सिर्फ़ बस ऐसे ही कह रहे हैं।
हम यह कैसे जान सकते हैं कि जो कुछ एक शख़्स कह रहा है वह प्रशंसा है या चापलूसी? क्या इससे कोई फ़र्क़ पढ़ता है? क्या हम ऐसा नहीं कर सकते कि हमारी प्रशंसा में जो कुछ कहा जा रहा है बस उसे ही सच मान लें और खुश हों? तब क्या जब हम दूसरों की प्रशंसा करते हैं? क्या हमने प्रशंसा करने की अपनी नीयत के बारे में कभी सोचा है? इन सवालों पर ग़ौर करने से हमें समझ हासिल करने में और साथ ही अपनी ज़बान को उस तरह इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी जिससे यहोवा परमेश्वर की महिमा हो।
प्रशंसा और चापलूसी का मतलब
वॆबस्टर्स डिक्शनरी में प्रशंसा का मतलब है मंज़ूरी या सराहना का इज़हार करना और इस शब्द का मतलब उपासना या स्तुति भी हो सकता है। ज़ाहिर है कि ये दो आख़िरी मतलब सिर्फ़ यहोवा परमेश्वर की प्रशंसा के लिए हो सकते हैं। यह सच्ची उपासना का एक अहम हिस्सा है जैसे भजनहार नसीहत देता है: “क्योंकि वह मनभावना है, उसकी स्तुति करनी मनभावनी है।” “जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो!”—भजन १४७:१; १५०:६.
फिर भी इसका मतलब यह नहीं है कि इंसानों की प्रशंसा ही नहीं करनी चाहिए। सराहना करने, मंज़ूरी देने या हित में फ़ैसला करने के द्वारा प्रशंसा की जा सकती है। यीशु द्वारा दिए गए दृष्टांत में, एक मालिक अपने दास से कहता है: “धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास।”—मत्ती २५:२१.
दूसरी तरफ़, चापलूसी की परिभाषा यूँ दी जाती है: झूठी, कपटी या हद से ज़्यादा प्रशंसा जहाँ चापलूसों की नीयत अमूमन मतलबी होती है। दूसरों से भौतिक फ़ायदा उठाने या मेहरबानी हासिल करने या फिर चापलूस के लिए दूसरे में एहसानमंदी का जज़्बात जगाने की कोशिश करने की ख़ातिर चलाकी से सराहना या चापलूसी की जाती है। सो चापलूसी करनेवाले खुदग़र्ज़ी से प्रेरित होते हैं। यहूदा १६ के मुताबिक़ वे “दूसरों की चापलूसी करने के लिए मुस्तैद रहते हैं जब वे देखते हैं कि इससे कुछ फ़ायदा होगा।”—द जेरुसलेम बाइबल।
शास्त्र का नज़रिया
इंसान की प्रशंसा करने का शास्त्रीय नज़रिया क्या है? इस बारे में यहोवा हमें नक़ल करने के लिए एक नमूना देता है। बाइबल में हमें बताया गया है कि अगर हम यहोवा की मर्ज़ी को मानेंगे तो हमारी प्रशंसा की जाएगी। प्रेरित पौलुस कहता है कि “परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी।” पतरस हमें कहता है कि हमारा परखा हुआ विश्वास “प्रशंसा, . . का कारण ठहरे।” तो यह हक़ीक़त कि यहोवा इंसानों की प्रशंसा करेगा दिखाती है कि सच्चे दिल से प्रशंसा करना कृपा का, प्यार-भरा और फ़ायदेमंद काम है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।—१ कुरिन्थियों ४:५; १ पतरस १:७.
बाइबल के मुताबिक़ एक और ज़रिया जहाँ से हमें प्रशंसा मिल सकती है, वह है सरकारी अधिकारी जो हमारे चाल-चलन को देखते हैं और हमारी दिल से प्रशंसा करते हैं। हमें कहा गया है, “अच्छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी।” (रोमियों १३:३) हम उन लोगों से भी प्रशंसा पा सकते हैं जो ईमानदारी से बात करते हैं और हमारी प्रशंसा करने में जिनकी कोई बुरी नीयत नहीं होती। ईश्वरप्रेरित शास्त्र नीतिवचन २७:२ में कहता है: “दूसरा तुझे सराहे तो सराहे, परन्तु तू अपनी सराहना न करना।” यह बात दिखाती है कि इंसानों से प्रशंसा पाना ठीक है।
मगर चापलूसी करने या पाने के बारे में यह सही नहीं है। चापलूसी करना यहोवा को नाखुश क्यों करता है? एक बात यह है कि यह कपट है और यहोवा कपट की निंदा करता है। (नीतिवचन २३:६, ७ से तुलना कीजिए।) इसके अलावा यह ईमानदारी नहीं है। उन लोगों का बयान करते हुए जो परमेश्वर की निंदा के लायक़ हैं, भजनहार कहता है: “उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी ओठों से दो रंगी बातें करते हैं। प्रभु सब चापलूस ओठों को और उस जीभ को जिस से बड़ा बोल निकलता है काट डालेगा।”—भजन १२:२, ३.
ख़ासकर चापलूसी करना प्यार दिखाना नहीं है। ये मतलबी इरादों से आती है। चापलूसी करनेवालों के बारे में कहने के बाद भजनहार दाऊद और कहता है: “वे कहते है कि हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमारा प्रभु कौन है?” यहोवा ऐसे मतलबी लोगों के बारे में कहता है कि वे ‘दीन लोगों को लूटते हैं।’ वे अपनी चापलूस ज़बान को दूसरों की तरक्क़ी के लिए नहीं मगर लूटने और गिराने के लिए इस्तेमाल करते हैं।—भजन १२:४, ५.