‘विपत्ति के समय सच्चे मित्र की पहचान होती है।‘ उपरोक्त कहावत के अर्थ को चरितार्थ करते हुए सच्चे मित्र का आपके जीवन में क्या महत्व है? इस पर 150 शब्दों में अपने विचार लिखें
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Answer:
मित्र की संगति का मनुष्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस करण हमें सोच समझ कर, अच्छे संस्कार वाले व्यक्ति से ही मित्रता करनी चाहिए। अच्छे मित्र के संगति में मनुष्य अच्छा बनता है और बुरे की संगति में बुरा बनता है।
सच्चा मित्र दुख सुख का साथी होता है और सदैव हमें ग़लत काम करने से रोकता है।
मित्रों में आपस में पारस्परीक सहयोग की भावना होनी चाहिए। मित्रता हमेशा बनी रहे, इसके लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए। जिस प्रकार पौधे को जीवित रखने के लिए, खाद और पानी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मित्रता को बरकरार रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। मित्रता में संदेह का स्थान नहीं होता है।
Explanation:
सच्चे मित्र की पहचान मुसीबत में ही होती है। अतः मित्रता अनमोल होती है और हमारे सुचारू रूप से चलने में सहायता करती है। इसीलिए हमारे ज़ीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।
सच्चे मित्रों की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। दोस्ती हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दोस्त के बिना हर कोई अकेला है। सच्चे दोस्त मुश्किल से मिलते हैं। सुदामा और कृष्ण की दोस्ती, दोस्ती की मिसाल है।
मित्र की संगति का व्यक्ति पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें अच्छे संस्कार वाले व्यक्ति से ही दोस्ती करनी चाहिए। एक अच्छे दोस्त की संगति में एक आदमी अच्छा बन जाता है और बुरे की संगति में बुरा बन जाता है।
एक सच्चा मित्र दुख और सुख का साथी होता है और हमें हमेशा गलत काम करने से रोकता है।
मित्रों के बीच आपसी सहयोग की भावना होनी चाहिए। दोस्ती हमेशा बनी रहनी चाहिए, इसके लिए हमेशा कोशिश करनी चाहिए। जिस प्रकार एक पौधे को जीवित रहने के लिए उर्वरक और पानी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मित्रता बनाए रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। दोस्ती में शक की कोई जगह नहीं होती।
तो दोस्ती अनमोल है और हमें सुचारू रूप से आगे बढ़ने में मदद करती है। इसलिए हमारे जीवन में एक सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।
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