Hindi, asked by Muskaangupta3181, 10 months ago

विरोधाभास अलंकार को उदाहरण सहित समझाइए।

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Answered by shrutijiya9
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Answer:

’विरोधाभास’ शब्द ’विरोध+आभास’ के योग से बना है, अर्थात् जब किसी पद में वास्तविकता में तो विरोध वाली कोई बात नहीं होती है, परन्तु सामान्य बुद्धि से विचार करने पर वहाँ कोई भी पाठक विरोध कर सकता है तो वहाँ विरोधाभास अलंकार माना जाता है। जैसे-

’’या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहि कोय।

ज्यौं ज्यौं बूङै स्याम रंग, त्यौं त्यौं उजलो होय।।’

प्रस्तुत पद में कवि यह कहना चाहता है कि हमारे अनुरागी मन की गति को कोई भी समझ नहीं सकता है, क्योंकि यह जैसे-जैसे कृष्ण भक्ति के रंग में डूबता जाता है, वैसे-वैसे ही उसके विकार दूर होते चले जाते है।

यहाँ कोई भी सामान्य बुद्धि का पाठक यह विरोध कर सकता है कि जो काले रंग में डूबता है, वह उज्जवल कैसे हो सकता है। इस प्रकार विरोध का आभास होने के कारण यहाँ विरोधाभास अलंकार माना जाता है।

विरोधाभास अलंकार के अन्य उदाहरण:

’’विषमय यह गोदावरी अमृतन को फल देत।

केसव जीवन हार को, असेस दुख हर लेत।।’’

’’राजघाट पर पुल बँधत, गयी पिया के साथ।

आज गये कल देखिके, आज ही लौटे नाथ।।’’

’’शीतल ज्वाला जलती है, ईंधन होता दृग जल का।

यह व्यर्थ साँस चल चलकर, करती है काम अनिल का।।’’

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