Hindi, asked by riyanziipiscabohaisi, 2 days ago

वीरता के ऊपर कविता ..​

Answers

Answered by itzmedipayan2
2

Answer:

वण्डोली है यही, यहीं पर

है समाधि सेनापति की।

महातीर्थ की यही वेदिका

यही अमर–रेखा स्मृति की

एक बार आलोकित कर हा

यहीं हुआ था सूर्य अस्त।

चला यहीं से तिमिर हो गया

अन्धकार–मय जग समस्त

आज यहीं इस सिद्ध पीठ पर

फूल चढ़ाने आया हूँ।

आज यहीं पावन समाधि पर

दीप जलाने आया हूँ।

Answered by agnes232679
2

Answer:

करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है। तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है।। हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा। मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा।।

Explanation:

SMALL POEM ON MAHARANA PRATAP IN HINDI

वण्डोली है यही, यहीं पर

है समाधि सेनापति की।

महातीर्थ की यही वेदिका

यही अमर–रेखा स्मृति की

एक बार आलोकित कर हा

यहीं हुआ था सूर्य अस्त।

चला यहीं से तिमिर हो गया

अन्धकार–मय जग समस्त

आज यहीं इस सिद्ध पीठ पर

फूल चढ़ाने आया हूँ।

आज यहीं पावन समाधि पर

दीप जलाने आया हूँ।

महाराणा प्रताप पर कविता (Maharana Pratap Poem) – 2

राणा सांगा का ये वंशज,

रखता था रजपूती शान।

कर स्वतंत्रता का उद्घोष,

वह भारत का था अभिमान।

मानसींग ने हमला करके,

राणा जंगल दियो पठाय।

सारे संकट क्षण में आ गए,

घास की रोटी दे खवाय।

हल्दी घाटी रक्त से सन गई,

अरिदल मच गई चीख-पुकार।

हुआ युद्ध घनघोर अरावली,

प्रताप ने भरी हुंकार।

शत्रु समूह ने घेर लिया था,

डट गया सिंह-सा कर गर्जन।

सर्प-सा लहराता प्रताप,

चल पड़ा शत्रु का कर मर्दन।

मान सींग को राणा ढूंढे,

चेतक पर बन के असवार।

हाथी के सिर पर दो टापें,

रख चेतक भरकर हुंकार।

रण में हाहाकार मचो तब,

राणा की निकली तलवार

मौत बरस रही रणभूमि में,

राणा जले हृदय अंगार।

आंखन बाण लगो राणा के,

रण में न कछु रहो दिखाय।

स्वामिभक्त चेतक ले उड़ गयो,

राणा के लय प्राण बचाय।

मुकुट लगाकर राणाजी को,

मन्नाजी दय प्राण गंवाय।

प्राण त्यागकर घायल चेतक,

सीधो स्वर्ग सिधारो जाय।

सौ मूड़ को अकबर हो गयो,

जीत न सको बनाफर राय।

स्वाभिमान कभी नहीं छूटे,

चाहे तन से प्राण गंवाय।

l hope it will help u ☺️✌☺️

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