वीरतय की अनिव्यनि अनेक प्रकयर सेहोती है। िङनय-मरनय, खून बहयनय, तोप-तिवयर केसयमनेन झुकनय ही नहीं, कणणकी ियाँनत ययचक को खयिी हयथ न िौटयनय यय बुद्ध की ियाँनत गूच तत्वों की खोज मेंसयंसयठरक सुख त्ययग देनय िी वीरतय ही है। वीरतय तो एक अंत:प्रेरणय है। वीरतय देश-कयि केअनुसयर संसयर मेंजब िी प्रकट हुई, तिी अपनय एक नयय रूप िेकर आई और िोगों को चककत कर गई। वीर कयरखयनों मेंनहीं ढिते, न खेतों मेंउगयए जयतेहैं, वेतो देवदयर केवृक्ष केसमयन जीवनरूपी वन मेंस्वयंउगतेहैं, नबनय ककसी केपयनी कदए, नबनय ककसी केदूध नपियए बचतेहैं। वीर कय कदि सबकय कदि और उसकेनवचयर सबकेनवचयर हो जयतेहैं। उसकेसंकल्प सबकेसंकल्प हो जयतेहैं। औरतों और समयज कय हृदय वीर केहृदय मेंधङकतय
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PATA NAHI BHAI
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