वास्तविक मजदूरी को निर्धारित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
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Explanation:
वास्तविक मजदूरी को निर्धारित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं:
(1) मुद्रा की क्रय-शक्ति (Purchasing Power of Money):
वास्तविक मजदूरी की गणना करते समय हमें दो बातें देखनी होती हैं:
(i) नकद मजदूरी की मात्रा और
(ii) सामान्य कीमत-स्तर
वास्तविक मजदूरी = P/W, जहाँ W नकद मजदूरी और P सामान्य कीमत-स्तर है । 1/P को मुद्रा की क्रय-शक्ति भी कहते हैं । अतः वास्तविक मजदूरी ज्ञात करने के लिए हमें नकद मजदूरी में मुद्रा की क्रय-शक्ति का गुणा कर देना चाहिए ।
(2) अतिरिक्त आय (Extra Income):
वास्तविक मजदूरी ज्ञात करते समय हमें श्रमिक की अतिरिक्त आय और अतिरिक्त आय के अवसर अवश्य देखने चाहिए । एक बैंक अधिकारी की नकद मजदूरी अधिक हो सकती है परन्तु कॉलेज के अध्यापक के लिए अतिरिक्त आय के अवसर अधिक हैं । उदाहरण के लिए, अध्यापक ट्यूशन पढ़ाकर, किताब लिखकर, उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर आदि अनेक साधनों द्वारा अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकता है ।
(3) मजदूरी के अलावा अन्य सुविधाएँ (Other Facilities in Addition to Wages):
कुछ व्यवसायों में श्रमिकों को नकद मजदूरी के अलावा कुछ अन्य सुविधाएँ भी दी जाती हैं, जैसे – सस्ती दर पर अथवा निःशुल्क मकान, अनाज, चिकित्सा सुविधाएँ, बच्चों की शिक्षा आदि । जिन श्रमिकों को ये सुविधाएँ दी जाती हैं उनकी वास्तविक मजदूरी अधिक होती है ।
(4) काम के घण्टे (Hours of Work):
दो श्रमिक समान कार्य की दशाओं में समान नकद मजदूरी दर पर कार्य करते हैं परन्तु उनमें से पहले श्रमिक के कार्य करने के घण्टे कम हैं और दूसरे श्रमिक के कार्य करने के घण्टे अधिक हैं । ऐसी दशा में पहले श्रमिक की वास्तविक मजदूरी अधिक होगी । प्रायः यह कहा जाता है कि अध्यापकों के कार्य करने के घण्टे कम होते हैं इस कारण उनकी वास्तविक मजदूरी अधिक होती है ।
(5) कार्य की दशाएँ (Conditions of Work):
वास्तविक मजदूरी कार्य करने की दशाओं से प्रभावित होती है । एक कारखाने में श्रमिकों को स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण में काम करने को कहा जाता है ।
वेतन समय पर एवं सम्मान के साथ दिया जाता है, प्रकाश की उचित व्यवस्था है, दुर्घटना से बचाव के पूरे साधन उपलब्ध हैं, आवश्यक काम करने के बाद विश्राम का समय दिया जाता है, सस्ती दर पर जलपान आदि की व्यवस्था है, वेतन सहित छुट्टियाँ मिलती हैं, श्रम-कल्याण की दृष्टि से सरकारी कानूनों का पालन किया जाता है, मनोरंजन के साधन जुटाये जाते हैं आदि ।
स्पष्ट है कि ऐसी दशा में कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी अधिक होगी ।
Explanation:
वास्तविक मजदूरी = P/W, जहाँ W नकद मजदूरी और P सामान्य कीमत-स्तर है । 1/P को मुद्रा की क्रय-शक्ति भी कहते हैं । अतः वास्तविक मजदूरी ज्ञात करने के लिए हमें नकद मजदूरी में मुद्रा की क्रय-शक्ति का गुणा कर देना चाहिए । (2) अतिरिक्त आय (Extra Income):