विस्थापन विधि द्वारा उत्तल लेंस की फोकस दूरी ज्ञात करना है
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Explanation:
उद्देश्य
u तथा v अथवा 1/u तथा 1/v के बीच ग्राफ आलेखित करके उत्तल लेंस की फ़ोकस दूरी ज्ञात करना। .
उपकरण तथा आवश्यक सामग्री
प्रकाशीय बेंच, तीक्ष्ण नोक वाली सूइयाँ (पिन)-दो, 20 cm से कम .फ़ोकस दूरी का उत्तल लेंस, अपराइट (क्लैंप सहित) - तीन, सूचकांक सूई (बुनने की सलाई ले सकते हैं) मीटर स्केल पैमाना, स्पिरिट लेविल।
पद तथा परिभाषाएँ
1. किसी लेंस का मुख्य अक्ष उसके दोनों पृष्ठों के वक्रता केंद्रों से गुजरने वाली सरल रेखा
होती है।
2. प्रकाशिक केंद्र वह बिंदु है जिससे होकर कोई किरण लेंस से बिना विचलित हुए
गुजरती है।
3. मुख्य .फ़ोकस वह बिंदु है जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर किरणें लेंस (उत्तल) से गुजरने के पश्चात् .फ़ोकसित होती हैं अथवा लेंस (अवतल) से गुजरने के पश्चात् निकलती प्रतीत होती हैं।
4. लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा फ़ोकस के बीच की दूरी फ़ोकस दूरी होती है।
5. ग्रा.फ का अंतः खंड यदि कोई ग्रा.फ x-अक्ष और/अथवा y-अक्ष का प्रतिच्छेदन करता है तो मूल बिंदु से अपरोधन बिंदु के बीच की लंबाई ग्रा.फ के अंतः खंड होते हैं।
पतले लेंसों द्वारा बने किसी प्रतिबिंब की स्थिति ज्ञात करने की ग्राफीय विधि
किसी बिंब के प्रत्येक बिंदु से निकलने वाली किरण के अपवर्तन पर विचार करके ग्रापफीय विधि से लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। निम्नलिखित तीन किरणों में से किन्ही दो किरणों को चुनकर पता लगाना अध्कि सरल होता है ।
1. बिंब के सिरे से निकली किरण जो लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर होती हैं अपवर्तन के पश्चात् लेंस के द्वितीय मुख्य .फ़ोकस F (उत्तल लेंस में) से गुजरती हैं अथवा प्रथम मुख्य फ़ोकस F से अपसारित होती (अवतल लेंस में) प्रतीत होती हैं।
2. बिंब के सिरे से लेंस के प्रकाशिक केंद्र पर आपतित किरण लेंस से बिना विचलित हुए निकल जाती है। इसका कारण यह है कि केंद्र के निकट लेंस काँच के स्लैब की भांति व्यवहार करता है।
3. बिंब के उसी बिंदु से निकलने वाली वह किरण जो प्रथम मुख्य फ़ोकस F (उत्तल लेंस में) से गुजरती है अथवा द्वितीय मुख्य .फ़ोकस F से गुजरती प्रतीत (अवतल लेंस में) होती है। अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समांतर निर्गत होती है।
सिद्धांत
फ़ोकस दूरी f के पतले उत्तल लेंस के प्रकाशिक केंद्र से u दूरी पर स्थित किसी बिंब का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर प्रकाशिक केंद्र से v दूरी पर बनता है। इन दूरियों के बीच निम्नलिखित संबंध् है-
1f = 1v -1u
नयी कार्तीय चिह्न परिपाटी के अनुसार u ऋणात्मक परन्तु v ध्नात्मक होता है. अतः u तथा v के परिणामों के लिए समीकरण निम्नलिखित रूप धरण कर लेती है
1/f = 1/v + 1/u (10.2)
अथवा, f = uv u+v (10.3)
इस परिणाम में u तथा v के ध्नात्मक मान प्रतिस्थापित किये जाते हैं।
समीकरण (E 10.2) यह दर्शाती है कि 1/v तथा 1/u के बीच ग्राफ ऋण प्रवणता की सरल रेखा होती है। यदि 1/v शून्य है अथवा 1/u शून्य है, तो क्रमश 1/u=1/f अथवा 1/v = 1/f होगा। इस ग्राफ के दोनों अक्षों पर अंतः खंड 1/f हैं। u तथा v के बीच
ग्राफ अतिपरवलय होता है। जब u = v होता है तो ये दोनों ही 2 f के बराबर होते हैं। समीकरण (E 10.3) यह दर्शाती है कि u तथा v के मान अंतर्बदल हैं।
जब कोई बिंब (जैसे, कोई पिन) किसी उत्तल लेंस के सामने 2 f के बराबर दूरी पर रखा जाता है, तो उसी साइज़ का उसका वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर लेंस से 2 f के बराबर दूरी पर बनता है E10.2 । यदि बिंब की स्थिति लेंस के प्रकाशिक केंद्र से f तथा 2f के बीच है तब वास्तविक, उल्टा तथा आवर्धित प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर उस बिंदु पर बनता है जिसकी लेंस के प्रकाशिक केंद्र से स्थिति 2 f से परे होती है ।
इस प्रकार, u तथा v दूरियाँ मापकर उत्तल लेंस की .फ़ोकस दूरी समीकरण E 10.3 द्वारा परिकलित की जा सकती है। लेंस की .फ़ोकस दूरी का निर्धरण u तथा v अथवा 1/u तथा 1/v के बीच ग्राफ आलेखित करके भी किया जा सकता
यदि किसी ऑब्जेक्ट और स्क्रीन के बीच किसी ऑब्जेक्ट की दूरी डी उत्तल लेंस की फोकल लंबाई से 4 गुना अधिक है, तो ऑब्जेक्ट और स्क्रीन के बीच लेंस की दो स्थितियां हैं जिस पर स्क्रीन पर ऑब्जेक्ट की एक तेज छवि बनती है। इस विधि को विस्थापन विधि कहा जाता है।
u= एक उत्तल लेंस से एक वस्तु की दूरी चलो।
f = फोकल लंबाई।
V = D - U = लेंस से छवि की दूरी।
अब, निम्नलिखित संभावनाएं हैं:
(क) यदि डी 4 एफ < है, तो यू काल्पनिक है ।
- इसलिए, शारीरिक रूप से लेंस की कोई स्थिति संभव नहीं है।
(ख) यदि D = 4 एफ, u, =[tex]\frac{D}{2}\\ [/tex], = ,2f ।
- इसलिए केवल एक ही स्थिति संभव है । उत्तल लेंस के मामले में किसी ऑब्जेक्ट और उसकी वास्तविक छवि के बीच न्यूनतम दूरी 4 एफ है।