विसरण में आप क्या समझते हैं
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Explanation:
जब एक से अधिक द्रव्य प्राकृतिक रूप से परस्पर मेल से क्रियाशील होकर नए समांग मिश्रण का सृजन करते हैं तो इस क्रिया को विसरण कहा जाता है।
द्रव्यों में पाये जाने वाले कणों में परस्पर क्रिया होने से मूल द्रव्य में परिवर्तन होकर नया रूप प्राप्त होता है। इस क्रिया को ही विसरण कहते हैं। जब तक यह एक समान मिश्रण का रूप नहीं ले लेता, तब तक यह क्रिया चलती रहती है।
विसरण की क्रिया की तीव्रता में द्रव्य की अवस्था के आधार पर परिवर्तन आता है।
द्रव्य की गैस अवस्था में विसरण क्रिया अत्यधिक तीव्र गति के साथ संचालित होती है,क्योंकि गैस के कणों के मध्य दूरी पाई जाने के कारण उनमे क्रियाशीलता बनी रहती है तथा वह निरन्तर गतिशील रहते हैं। जबकि ठोस में इसी के विपरीत विसरण की अत्यंत धीमी गति रहती है,क्योंकि ठोस के कण एक-दूसरे के काफी नजदीक होने के कारण अधिक गतिशील नही होते हैं। द्रव में यह सामान्य होती है, क्योंकि द्रव में पाये जाने वाले कण न अधिक दूर होते हैं और न ही अधिक पास।
विसरण क्रिया के दौरान यदि उस द्रव्य को ताप देकर गर्म किया जाए तो द्रव्य के कणों में गतिज ऊर्जा पैदा होने के कारण वे अधिक तेजी से गति करने लगते है तथा विसरण क्रिया में तीव्रता पैदा होती है।