विशेष्यपदं चिनुत- "सहजा" ।
भारत जनता
प्रकृति
जगत्
संसारे
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विशेषण विशेष्य पदानि मेलयत विशेषण पदानि विशेष्य पदानि १ सुकुमारा → भारतजनता २ सहज प्रकृतिः ३ विश्वस्मिन् → जगति ४ समं जगत् ५ समस्ते संसारे
Explanation:
भारतजनताऽहम् काव्य डॉ रमाकांत शुक्ला द्वारा रचित है। इस पाठ में कुल 7 पद्य हैं जिनमें कवि ने स्वयं को भारतीय जनता के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा है कि भारतीय जनता स्वाभिमानी, विनम्र, शालीन, वज्र से भी कठोर और फूल से भी अधिक कोमल है। भारत के लोग समस्त संसार में रहते हैं तथा सारी पृथ्वी को ही अपना परिवार मानते हैं।
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