वैश्विक महामारी के चलते धर्म का कैसा रूप आपको दिखाई दिया | इसपर अपने विचार लिखिए
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sare log apne ghar mei rahakar pooja paath karte hain or koi bhar nahi aate ek doosre nahi milte
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ये महामारी सबको बराबरी की नज़र से नहीं देखती. कुछ लोग खिली हुई धूप वाले बाग़ीचों में आइसोलेशन का पालन कर रहे हैं. तो, अन्य लोग अपने छोटे छोटे अपार्टमेंट की खिड़कियों से झांकते दिखाई देते हैं.
रिसर्च कहती है कि इस महामारी के कारण नौकरी गंवाने वालों में ज़्यादातर युवा और महिलाएं हैं. ये वो लोग हैं, जिनकी कमाई पहले से ही कम थी. और अब वायरस ने उनके रोज़गार छीन लिए हैं. अब तक के अध्ययन ये भी इशारा करते हैं कि कोरोना वायरस से अश्वेत लोग ज़्यादा संक्रमित हो रहे हैं.
रोज़ कमाने खाने वालों के लिए लॉकडाउन का मतलब है कि उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है. ये बात है तो बहुत दुखदायी मगर इसमें चौंकाने वाली कोई बात नहीं कि इस महामारी के संकट के कारण ग़रीब लोग और ग़रीब हो जाएंगे. लेकिन, आपदाएं, बदलाव का अवसर भी अपने साथ ही ले आती हैं. और ऐसा होता है तो ये पहली बार नहीं होगा.
2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद ब्राज़ील में सामाजिक सुरक्षा का नया ढांचा तैयार किया गया. एशिया में 1990 के दशक में आख़िर में आई आर्थिक सुस्ती के बाद थाईलैंड में सबके लिए मुफ़्त स्वास्थ्य व्यवस्था की शुरुआत हुई थी.
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