वैश्वीकरण की आर्थिक परीणतियां हुई हैं ?इस संदर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसा प्रभाव डाला है I?
Answers
"वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव:- वैश्वीकरण से देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के आर्थिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं| इसके अच्छे प्रभाव भी पड़े हैं और बुरे भी|
वैश्वीकरण के सकारात्मक आर्थिक प्रभाव-
1. इससे आर्थिक प्रवाह में तेजी आई है और इसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं का भी हाथ है | इस देशों के आर्थिक विकास में सहायता मिली है|
2. वैश्वीकरण की वजह से पूंजी और वस्तुओं के प्रभाव में भी तेजी हुई है जैसे देशों में व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई है और इससे आर्थिक विकास को गति मिली है|
3. पूंजी प्रवाह के कारण विकास विकासशील देशों में विकसित देशों के लोग अपनी पूंजी का निवेश करने लगे हैं जिससे कि उन्हें अधिक ब्याज मिल सके| इससे विकासशील देशों में अधिक आर्थिक वृद्धि हो रही है और उनके सामाजिक आर्थिक विकास हेतु विदेशी पूंजी प्राप्त हो रही है|
4. समान व्यापारिक और श्रम नियम अपनाए जाने से सभी देशों का संतुलित आर्थिक विकास होगा|
वैश्वीकरण के नकारात्मक आर्थिक प्रभाव:-
1. वैश्वीकरण से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है और बाजार मुलक अर्थव्यवस्था अपनाई जा रही है| अमीरों की संख्या कम और गरीबों की संख्या बढ़ रही है| अर्थात अमीर और अधिक अमीर और गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं|
2. वैश्वीकरण से समाज कल्याण ,सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक न्याय से संबंधित गतिविधियों में राज्यों ने हाथ खींच लिए हैं| इस वजह से सरकारी सहायता और संरक्षण पर आश्रित रहने वाले लोगों की दशा और ज्यादा सोचनीय होती जा रही है|
3. अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्था ऐसे तरीके अपनाती हैं जिससे विकसित देशों के आर्थिक हितों को बढ़ावा मिलता है, और उनकी सुरक्षा होती है और गरीब देशों के आर्थिक हितों की अनदेखी होती है| इस वजह से विकासशील देशों में वैश्वीकरण के प्रति विरोध बढ़ा है| इन देशों में तनाव की स्थिति बढ़ी है|
4. गरीब और तीसरी दुनिया के देशों के छोटे उद्योगों और काम धंधों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने चोट की है और छोटे व्यापारी इन बड़ी कंपनियों का मुकाबला ना कर सकने के कारण लगातार घाटे में जा रहे हैं|
वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव:-
1991 में वित्तीय संकट से निपटने और आर्थिक वृद्धि की ऊंची दर हासिल करने की इच्छा से भारत में आर्थिक सुधार की योजना शुरू हुई| इस योजना में विभिन्न क्षेत्रों में आयात बाधाएं हटाई गई| इसमें व्यापार और विदेशी निवेश में शामिल थे| शुरुआती दौर में भारत के लिए यह काफी अच्छा साबित हुआ| अब यह कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि अंतिम कसोटी ऊंची वृद्धि दर नहीं बल्कि इस बात को सुनिश्चित करना है कि आर्थिक बढ़ोतरी के फायदों में सबसे अच्छा होता कि हर कोई खुशहाल बने|
निष्कर्ष यह है कि भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव ठीक नहीं रहे| गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ी है| आर्थिक असमानता दिखाई देती है |महंगाई और बेरोजगारी भी बढ़ी है|"
amnesty international kya hai,iske pramukh kary btai