वैश्वीकरण की नीति कब अपनाई गईवैश्वीकरण और इतनी निराशा है कि पुस्तक के लेखक कौन थे
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Answer:
वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है। वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण। इसके लेखक नरेश भार्गव सुखाड़िया है.
Explanation:
वैश्वीकरण के प्रारंभिक रूप रोमन साम्राज्य, पार्थियन साम्राज्य और हान राजवंश, के समय में पाए जाते थे, जब चीन में शुरू हुआ रेशम मार्ग पार्थियन साम्राज्य की सीमा तक पहुँच गया और आगे रोम की तरफ बढ़ गया। इस्लामी स्वर्ण युग भी एक उदाहरण है, जब मुस्लिम अन्वेषकों और व्यापारियों ने पुरानी दुनिया (Old World ) में प्रारंभिक वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थापना की जिसके परिणाम स्वरुप फसलों व्यापार, ज्ञान और प्रौद्योगिकी का वैश्वीकरण हुआ; और बाद में मंगोल साम्राज्य के दौरान, जब रेशम मार्ग पर अपेक्षाकृत अधिक एकीकरण था। व्यापक संदर्भ में वैश्वीकरण की शुरुआत 16वीं शताब्दी के अंत से पहले हुई, यह स्पेन और विशेष रूप से पुर्तगाल में हुई। 16वीं शताब्दी में पुर्तगाल का वैश्विक विस्तार विशेष रूप से एक बड़े पैमाने पर महाद्वीपों, अर्थव्यवस्था और संस्कृतियों से जुड़ा हुआ था। Mark me as Brainliest❤ and do follow❤.