विश्व पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार क्यों बन गए हैं?
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"पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का लंबा इतिहास है परंतु आर्थिक विकास के कारण होने वाले पर्यावरण के नुकसान के मुद्दे ने 1960 के बाद राजनीतिक चरित्र ग्रहण कर लिया| वैश्विक मुद्दों पर जानकारी रखने वाले एक विद्वान समूह "" क्लब ऑफ रोम"" ने 1972 में"" लिमिट्स टू ग्रोथ"" शीर्षक से एक पुस्तक प्रकाशित की| इस पुस्तक में दुनिया की बढ़ती जनसंख्या के संदर्भ में प्राकृतिक संसाधनों के विकास के अंदेशे को बखूबी बताया गया है|
पृथ्वी पर कृषि योग्य भूमि में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही और मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े हिस्से की उर्वरता कम होती जा रही है|
चारागाह से चारे और मत्स्य भंडार घट रहा है| जलाशयों से जल राशि तेजी से कम हो रही है और उन में प्रदूषण भी बढ़ रहा है| इससे खाद्य उत्पादन में कमी आ रही है|
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम( UNEP) आदि अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अनेक पर्यावरण संबंधी सम्मेलन करवाएं और इस विषय पर अध्ययन को बढ़ावा भी दिया| इन का उद्देश्य पर ज्यादा कारगर पहल की शुरुआत करना था| इसके बाद पर्यावरण विश्व राजनीति का एक महत्वपूर्ण मसला बन गया है|
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Answer:
पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का लंबा इतिहास है परंतु आर्थिक विकास के कारण होने वाले पर्यावरण के नुकसान के मुद्दे ने 1960 के बाद राजनीतिक चरित्र ग्रहण कर लिया| वैश्विक मुद्दों पर जानकारी रखने वाले एक विद्वान समूह "" क्लब ऑफ रोम"" ने 1972 में"" लिमिट्स टू ग्रोथ"" शीर्षक से एक पुस्तक प्रकाशित की| इस पुस्तक में दुनिया की बढ़ती जनसंख्या के संदर्भ में प्राकृतिक संसाधनों के विकास के अंदेशे को बखूबी बताया गया है|
पृथ्वी पर कृषि योग्य भूमि में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही और मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े हिस्से की उर्वरता कम होती जा रही है|