विषय कोड सत्रीय कार्य जमा करने का दिनांक लिखना अनिवार्य है। प्रत्येक
सत्रीय कार्य दिए गए समय सीमा में जमा किया जाना है।
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प्रश्न 01.दिए गए पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(अंक 04)
गोधन,गजघन,बाजिघन और रतन सब खान ।
जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान ।।
प्रश्न 02 कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जी ने प. मदन मोहन मालवीय जी से क्या सीखा ?
(अंक 04)
प्रश्न 03. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए जिसमें व्यायाम का महत्व बताया गया हो ?
(अंक 04)
प्रश्न 04. वक्त पर जागने और बेवक्त जागने में क्या फर्क बताया गया ?
(अंक 04)
प्रश्न 05. आदिवासियों की प्रथाओं में से किन्ही चार प्रथाओं का वर्णन कीजिए?
(अंक 04)
Answers
दिए गए पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
गोधन,गजघन,बाजिघन और रतन सब खान ।
जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान ।।
✎... अर्थात तुलसीदास जी कहते हैं चाहे मनुष्य के पास गाय रूपी धन क्यों ना हो, हाथी रूपी धन क्यों ना हो, घोड़ा रूपी धन क्यों ना हो या मनुष्य के पास अतुल्य रत्नों का भंडार क्यों ना हो, उसे संतुष्टि कभी नहीं मिल सकती। जब तक मनुष्य के पास संतोष रूपी धन नहीं होता, तब तक बाकी सभी धन उसके लिए मिट्टी के समान हैं। संतोष रूपी धन ही सबसे बड़ा धन है।
कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जी ने प. मदन मोहन मालवीय जी से क्या सीखा ?
✎... पंडित मदन मोहन मालवीय की इस बात से कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर को यह सीख मिली कि विनम्रता और व्यवहार कुशलता ही सबका दिल जीतने का सफल मूल मंत्र है। विनम्रता और व्यवहार कुशलता अपनाकर किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल किया जा सकता है।
अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए जिसमें व्यायाम का महत्व बताया गया हो ?
✎... व्यायाम के महत्व को दर्शाते हुये छोटे भाईको पत्र
प्रिय शिवम
सदा प्रसन्न रहो।
कल माँ का पत्र प्राप्त हुआ। सब लोगों की कुशलता को जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई। समय की व्यस्तता के कारण मैं तुम्हें पत्र नही लिख पाया। ना ही माँ को पिछले माह से कोई पत्र लिख पाया था। मेरे ऑफिस में काम की अधिकता हो गयी है इसलिये समय ही नही मिल पाता है। आज जैसे तैसे समय निकालकर एक पत्र माँ को और एक पत्र तुम्हें लिख रहा हूँ।
माँ ने अपने पत्र में तुम्हारे बारे में लिखा था कि तुम आजकल बहुत आलसी हो गये हो। दिन भर या तो टीवी देखते रहते हो या फिर मोबाइल पर गेम खेलते रहते हो। घर के काम करने से भी कतराने लगे हो। तुम्हारे बारे में ये जानकर मुझे बड़ा दुख हुआ। ये अच्छे संकेत नही हैं। इससे तुम्हारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
मैं तुम्हे व्यायाम का महत्व बताता हूँ। मेरा सुझाव ये है कि तुम रोज सुबह उठकर नित्य व्यायाम करो। इससे तुम्हारा स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। मुझे देखो मैं इतनी व्यस्तता के बावजूद सुबह लगभग एक घंटे व्यायाम करता हूँ। क्योंकि स्वास्थ्य है तो जीवन का आनंद है। इस सूत्र को तुम भी याद कर लो। तुम आज से प्रण करो कि नित्य सुबह एक घंटा व्यायाम करने में लगाया करोगे। व्यायाम करने के अनेक लाभ हैं। तुम्हारा शरीर स्वस्थ होगा तो मन भी प्रफुल्लित रहेगा। मन प्रफुल्लित होगा तो एकाग्रता बढ़ेगी जो तुम्हारी पढ़ाई में काम आयेगी। यदि तुम अभी से व्यायाम की आदत डाल लोगे तो जीवन भर कोई भी रोग तुम्हारे पास नही फटकेगा। तुम्हें मैं इस पत्र के साथ व्यायाम करने के तरीकों से संबंधित एक पुस्तक भेज रहा हूँ उसे अच्छी तरह से पढ़ो और फिर इस मिशन में लग जाओ।
यदि तुमने मेरी बात मानी तो दो माह बाद घर आते समय मैं तुम्हारे लिये तुम्हारा मन-पसंद मोबाइल लाऊंगा।
अच्छा अब पत्र समाप्त करता हूँ। माँ-पिताजी को चरण स्पर्श कहना। तुम्हे स्नेह। पत्र का जवाब देकर स्थिति से अवगत कराना।
तुम्हारा
अग्रज
संदीप
वक्त पर जागने और बेवक्त जागने में क्या फर्क बताया गया ?
✎... वक्त पर जागने और बेवक्त जागने में यह फर्क होता है कि जो व्यक्ति वक्त पर जाता है, तो वह अपने सारे काम समय पर कर पाता है, उसे कोई हड़बड़ाहट नहीं होती। लेकिन यदि व्यक्ति व्यक्ति बेवक्त जाता है तो उसमें हड़बड़ाहट होती है। वह देखता है कि वह पीछे रह गया है और लोग उससे आगे निकल गए हैं। आगे निकले लोगों का साथ पकड़ने के लिए वह घबराकर दौड़ने लगता है। इस कारण उसके काम बिगड़ते जाते हैं। वो संकट में पड़ सकता है, वह ठोकर भी खा सकता है, रास्ता भी भूल सकता है, ऐसी स्थिति में उसके सफल होने की संभावना कम हो जाती है। जबकि वक्त पर जागने पर वह सब के साथ बना रहता है और अपने सारे कार्य सुकून से कर पाता है।
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