Hindi, asked by gokulbshimpii1979, 3 months ago

विषय कितने जाना आवश्यक है इस विषय पर अपने विचार लिखिए​

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Answered by garimasuga455
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Answer:

यह मेरे विचार से :)

किसी एक विषय पर विचारों को क्रमबद्ध कर सुंदर, गठित और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध-लेखन कहते हैं।

निबंध रचना साहित्य का एक प्रमुख अंग है। निबंधकार अपने विचारों, अनुभवों तथा मनोभावों को एक सीमित दायरे के अंदर बाँधकर या सजाकर इस प्रकार रखता है कि उसकी छाप पाठक के हृदय पर पड़े बिना नहीं रहती। वह अपना हृदय खोलकर रख देता है

और उसका व्यक्तित्व उसकी रचना में झलकने लगता है। अच्छा निबंध वही होता है जिसमें वैयक्तिकता मूल रूप से विद्यमान हो। किसी भी निबंध के मुख्य रूप से तीन अंग होते हैं –

आरंभ (भूमिका)

मध्य (विस्तार)

समापन (उपसंहार)

1. आरंभ ( भूमिका) – यह निबंध का द्वार है जो पाठक को अपनी ओर आकर्षित करता है। भूमिका संक्षिप्त और सारगर्भित होनी चाहिए। यह आकर्षक और प्रभावोत्पादक होनी चाहिए। इसे प्रसंगानुकूल तथा उत्तम रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

2. मध्य (विस्तार)-यह निबंध का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। इसे निबंध का मेरुदंड भी कह सकते हैं। यहाँ विषय का विवेचन विश्लेषण अलग-अलग अनुच्छेदों में किया जाता है। विश्लेषण क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित होना चाहिए। अनावश्यक विस्तार और आवृत्ति से बचना चाहिए तथा विषय को व्यवस्थित तथा सुसंबद्ध रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए।

3. समापन (उपसंहार)-निबंध की यात्रा का यह अंतिम पड़ाव होता है। इसमें निबंध का उद्देश्य पूर्णरूपेण परिलक्षित होना

आवश्यक होता है। इसे उपदेशात्मक भी बनाया जा सकता है। कुल मिलाकर, यह संक्षिप्त, आकर्षक व मन को प्रभावित करने वाला होना चाहिए।

निबंध के प्रकार

मुख्यतः निबंध के निम्नलिखित चार प्रकार हैं –

वर्णनात्मक निबंध

विवरणात्मक निबंध

विचारात्मक निबंध

भावात्मक निबंध

1. वर्णनात्मक निबंध – इसमें किसी वस्तु विशेष का सजीव वर्णन होता है। वन, उपवन, मेले, त्यौहार, कारखाने आदि पर लिखे गए

निबंध इसी कोटि में आते हैं। इस कोटि के निबंधों में वस्तुओं तथा घटनाओं का यथातथ्य वर्णन किया जाता है।

2. विवरणात्मक निबंध – इस प्रकार के निबंधों की विशेषता क्रमबद्धता है। किसी घटना या यात्रा को रोचक एवं आकर्षक रूप में प्रस्तुत करना इस प्रकार के निबंधों की विशेषता है। मेरी पहली हवाई उड़ान, विदेश यात्रा का अनुभव, विद्यालय का वार्षिक उत्सव आदि निबंध इसी प्रकार के उदाहरण हैं।

3. विचारात्मक निबंध – जिन लेखों में किसी विषय पर विचार किया जाता है अर्थात् उसके गुण-दोषों और हानि-लाभ आदि की विवेचना की जाती है, विचारात्मक निबंध कहलाते हैं। आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक विषय इसी कोटि में आते हैं।

4. भावात्मक निबंध-इस कोटि के निबंधों में भावों की प्रधानता होती है, उसके पश्चात् कल्पना का स्थान होता है और सबसे अंत में विचार-तत्व का स्थान होता है। इसमें लेखक की अनुभूतियाँ, भावनाएँ, अनुभव आदि की चर्चा होती है।

अच्छे निबंध की विशेषताएँ –

निबंध किसी एक उद्देश्य तथा एक विषय को लेकर लिखा जाना चाहिए।

विद्यार्थी को चाहिए कि वह जिस विषय पर निबंध लिखना चाहता है, उस पर पूरी तरह मनन कर ले और लिखते समय आदि से अंत तक उससे न भटके।

निबंध के लिए आवश्यक है कि उसमें विचार की एक अखंड धारा हो और उसका एक निश्चित परिणाम हो।

निबंध की रचना करने से पहले भली प्रकार निबंध की रूपरेखा पर विचार करके, विषय और सारणी की एकता पर ध्यान देते हुए अपनी रचना पूरी करनी चाहिए।

निबंध लंबे नहीं होने चाहिए। उसमें विचारों और शब्दों का संक्षेप आवश्यक है। कोई भी ऐसी बात जिसके निकाल देने पर निबंध में कमी न आती हो, उसमें नहीं लानी चाहिए।

आवश्यकता से अधिक लच्छेदार शब्द या वाक्य निबंध की सुंदरता को कम कर देते हैं। इसलिए आवश्यक है कि शब्द और वाक्य-दोनों ही सरल, सीधे और स्वाभाविक हों।

निबंध में लेखक का व्यक्तित्व प्रतिफलित होना अत्यंत आवश्यक है। यह पता चलना आवश्यक है कि कोई एक व्यक्ति हमें किसी एक विषय पर अपने विचार सुना रहा है।

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