विषय पर अनुच्छेद लिखिए- संतोष सबसे बड़ा सुख है (संकेत-बिंदु- संतोष का अर्थ, असंतोष का कारण, असंतोष से उत्पन्न दुष, संतोष से प्राप्त होने वाले सुख
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उसका मन पूरा भरा होता है, किंतु जिसके मन में निरंतर इच्छाएं उठ रही हैं, उसका मन तो कभी नहीं भरता। तब क्यों न हम अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति से हटकर अपने जीवन को ऊंचा उठाने वाली भावनाओं को अपने भीतर विकसित कर लें। यह भी तपस्या का एक रूप है। तपस्या को यदि इस तरह हम अपने जीवन में अमल करें, तो कोई बहुत मुश्किल बात नहीं है। जीवन को अच्छा बनाना एक तरह से जीवन को तराशना है। वे लोग अधिक सुखी जीवन जीते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में संतोष को धारण किया है। जबकि तरह-तरह की कामनाएं-इच्छाएं रखने वाले लोग अक्सर दुखी देखे गए हैं। मिथ्या दृष्टिकोण के कारण ऐसा होता है।
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उसका मन पूरा भरा होता है, किंतु जिसके मन में निरंतर इच्छाएं उठ रही हैं, उसका मन तो कभी नहीं भरता। तब क्यों न हम अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति से हटकर अपने जीवन को ऊंचा उठाने वाली भावनाओं को अपने भीतर विकसित कर लें। यह भी तपस्या का एक रूप है।