वीषय-साहत्य के वीकास के लीए तकनीक वरदान या अभीशाप।
इस परीयोजना को नम्नलिखीत संकेत बींदुओं के आधार पर करें-
1. मेघों का संदेश वाहक रूप।
2. कबूतर का संदेश वाहक रूप। पत्र लेिन।
3. तारसूचना का माध्यम।
4. मोबाइल फोन।
5. ई. प्रणाली।
6. पारीवारीक संबंधों पर प्रभाव।
7. साहीत्य पर प्रभाव।
टीप्पणी-कायि ए आकार के काग 4ज़ पर चीत्रों के साथ आकषिक रूप से लिखकर प्रस्तुत करें।
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आरंभिक दौड़ पर संचार का माध्यम मेघ हुआ करता था। मेघ को माध्यम बनाकर संदेश भेजा जाता था। कालिदास की मेघदूत कविता में इसका वर्णन साफ़ दिया है।
फिर संचार का रूप बदला और संदेश पहुंचाने का कार्य कबूतर करने लगे। इस पर गाना भी है। कबूतर जा जा जा।
फिर तार सूचना को संदेश का माध्यम बनाया गया।
इसके बाद संचार का नया माध्यम फोन बना। फोन के माध्यम से हर कोई अपने प्रियजनों को संदेश प्रेषित करते हैं।
फिर आया इंटरनेट जिसको आज हम ई- प्रणाली के माध्यम से भी जानते हैं। इससे हम दूर के संबंधी को भी मिनटों में देख पाते हैं।
इंटरनेट के कारण सारा दिन फ़ोन पर व्यस्त होते हैं और परिवार को समय नहीं दे पाते । इससे दूरियां बढ़ती ही जा रही है।
साहित्य पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। साहित्य समाज को सही दिशा दिखाती है मगर आज लोग साहित्य की बातों को भी नहीं मानते हैं।
फिर संचार का रूप बदला और संदेश पहुंचाने का कार्य कबूतर करने लगे। इस पर गाना भी है। कबूतर जा जा जा।
फिर तार सूचना को संदेश का माध्यम बनाया गया।
इसके बाद संचार का नया माध्यम फोन बना। फोन के माध्यम से हर कोई अपने प्रियजनों को संदेश प्रेषित करते हैं।
फिर आया इंटरनेट जिसको आज हम ई- प्रणाली के माध्यम से भी जानते हैं। इससे हम दूर के संबंधी को भी मिनटों में देख पाते हैं।
इंटरनेट के कारण सारा दिन फ़ोन पर व्यस्त होते हैं और परिवार को समय नहीं दे पाते । इससे दूरियां बढ़ती ही जा रही है।
साहित्य पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। साहित्य समाज को सही दिशा दिखाती है मगर आज लोग साहित्य की बातों को भी नहीं मानते हैं।
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