विदेशी पक्षियों की विशेषताओं का वर्णन करें
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खरसाण:- वल्लभनगर तहसील का रूण्डेडा तालाब इन दिनों विदेशी पक्षियों से गुलजार है। यहां पहुंचा सारस पक्षियों के जोड़े इन दिनों तालाब की शोभा बढ़ा रहे हैं। प्रवासी पक्षियों के बीच जब ये सारस जोड़े विचरण करते हैं, तो नजारा और भी मनमोहक हो जाता है।
पक्षी प्रेमी प्रहलाद मेनारिया, रामेश्वर मेनारिया ने बताया कि प्रवासी पक्षियों ने स्मार्ट विलेज रूण्डेडा के तालाब पर डेरा डाल रखा है। इनमें सारस पक्षियों के जोड़े भी हैं। इन्हें देखने के लिए आस-पास के जिलों सहित क्षेत्र के सैकड़ों पक्षी प्रेमी रूण्डेडा तालाब पर पक्षी दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। पानी में पक्षियों की कलरव को कैमरे में कैद कर लोग आनंद और सुकून के पलों को यादगार बना रहे हैं। तालाब के अलावा पास में चने के खेतों में भी बहुत से सारस विचरण करते देखे जा सकते हैं।
प्रेम और समर्पण: सारस पक्षी सबसे ऊंचा उडऩे वाला पक्षी है, इसकी उंचाई 5 फि ट तक होती है। यह गे्र रंग और विषम लाल सिर और उपरी लंबी गर्दन से अन्य पक्षियों से भिन्नता लिए है। इस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतिक माना जाता है। यह पक्षी अपने जीवन काल में मात्र एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद सारस युगल पूरे जीवन भर साथ रहते हैं। यदी किसी कारण से एक साथी की मौत हो जाती है तो दूसरा बहुत सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देता है, ऐसे में प्राय: उसकी मृत्यु हो जाती है। भारत के कुछ भागों में नवविवाहित युगल के लिए सारस युगल का दर्शन करना अनिवार्य होता है। उल्लेखनीय है कि वाल्मिकी ने रामायण लिखने का आरंभ सारस पक्षी के वर्णन से ही किया था। प्रणयरत सारस पक्षी युगल में से एक शिकारी द्वारा तीर से हत्या कर दी जाती है, तब दूसरा अपने साथी के वियोग मे वहीं तड़प कर प्राण त्याग देता है। इस घटना से द्रवित होकर महर्षि उस शिकारी को श्राप देते है। वही पंक्तियां रामायण के प्रथम शोक के रूप मे लिपिबद्ध होती है। सारस पक्षी को सौभाग्य पवित्र पक्षी के रूप में मान्यता मिली हुई है, इसका वर्णन लोक कथाओं और लोकगीतों में मिलता रहता है।
वल्लभनगर तहसील का रूण्डेडा तालाब इन दिनों विदेशी पक्षियों से गुलजार है। यहां पहुंचा सारस पक्षियों के जोड़े इन दिनों तालाब की शोभा बढ़ा रहे हैं। प्रवासी पक्षियों के बीच जब ये सारस जोड़े विचरण करते हैं, तो नजारा और भी मनमोहक हो जाता है।
पक्षी प्रेमी प्रहलाद मेनारिया, रामेश्वर मेनारिया ने बताया कि प्रवासी पक्षियों ने स्मार्ट विलेज रूण्डेडा के तालाब पर डेरा डाल रखा है। इनमें सारस पक्षियों के जोड़े भी हैं। इन्हें देखने के लिए आस-पास के जिलों सहित क्षेत्र के सैकड़ों पक्षी प्रेमी रूण्डेडा तालाब पर पक्षी दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। पानी में पक्षियों की कलरव को कैमरे में कैद कर लोग आनंद और सुकून के पलों को यादगार बना रहे हैं। तालाब के अलावा पास में चने के खेतों में भी बहुत से सारस विचरण करते देखे जा सकते हैं।
प्रेम और समर्पण: सारस पक्षी सबसे ऊंचा उडऩे वाला पक्षी है, इसकी उंचाई 5 फि ट तक होती है। यह गे्र रंग और विषम लाल सिर और उपरी लंबी गर्दन से अन्य पक्षियों से भिन्नता लिए है। इस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतिक माना जाता है। यह पक्षी अपने जीवन काल में मात्र एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद सारस युगल पूरे जीवन भर साथ रहते हैं। यदी किसी कारण से एक साथी की मौत हो जाती है तो दूसरा बहुत सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देता है, ऐसे में प्राय: उसकी मृत्यु हो जाती है। भारत के कुछ भागों में नवविवाहित युगल के लिए सारस युगल का दर्शन करना अनिवार्य होता है। उल्लेखनीय है कि वाल्मिकी ने रामायण लिखने का आरंभ सारस पक्षी के वर्णन से ही किया था। प्रणयरत सारस पक्षी युगल में से एक शिकारी द्वारा तीर से हत्या कर दी जाती है, तब दूसरा अपने साथी के वियोग मे वहीं तड़प कर प्राण त्याग देता है।
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