Hindi, asked by suhanisharma81, 4 months ago

विद्वत्ता की शोभा का नहीं विनम्रता है इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिएपहला दो रचनाएं दूसरा भाव पक्ष कला पक्ष साहित्य में स्थान ​

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Answered by santoshabhay11
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विद्वान को सत्य का ज्ञान हो जाता है। उसे पता लग जाता है कि अहंकार विनाश की जड़ है। अहंकारी का विवेक अहं की आग से प्रभावित होता रहता है। उसे शान्तिपूर्वक विचार करने का अवसर नहीं मिलता, जबकि विनम्रता शान्ति, प्रेम और भाईचारा स्थापित करती है। मनुष्य की इसी में भलाई है। इससे विवेक को और अधिक गम्भीर विचार करने में सहायता मिलती है। इसीलिए विद्वता की शोभा विनम्रता मानी गई है।

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