विद्वत्ता की शोभा का नहीं विनम्रता है इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिएपहला दो रचनाएं दूसरा भाव पक्ष कला पक्ष साहित्य में स्थान
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विद्वान को सत्य का ज्ञान हो जाता है। उसे पता लग जाता है कि अहंकार विनाश की जड़ है। अहंकारी का विवेक अहं की आग से प्रभावित होता रहता है। उसे शान्तिपूर्वक विचार करने का अवसर नहीं मिलता, जबकि विनम्रता शान्ति, प्रेम और भाईचारा स्थापित करती है। मनुष्य की इसी में भलाई है। इससे विवेक को और अधिक गम्भीर विचार करने में सहायता मिलती है। इसीलिए विद्वता की शोभा विनम्रता मानी गई है।
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