History, asked by arpitsalwanam, 4 months ago

विद्या फलं.............कृपणस्य सौख्यं |​

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Answered by unicornberry
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Answer:

विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यं राज्यं प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य।। अर्थात् लोभी व्यक्ति का यश, चुगलखोर की मित्रता, जिसकी क्रिया नष्ट हो गई है उसका वंश, धनपरायण का धर्म, बुरी आदत वाले की विद्या का फल, कंजूस का सुख तथा जिसके सचिव प्रमाद से युक्त हो गये हो, ऐसे राजा का राज्य नष्ट हो जाता है।

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