विद्या पर 6 श्लोक अर्थ सहित हिंदी और संस्कृत
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संस्कृत श्लोक 1 .
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च । अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणः ।। 1 ।।
Meaning :- कौए जैसा प्रयत्न , बगुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी नींद , कम खाना और घर को छोड़ । देना - विद्यार्थी के यह पाँच लक्षण होते हैं ।
संस्कृत श्लोक 2 .
अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् ।। परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्।।2 ।।
Meaning :- अठारह पुराणों में व्यासजी के दो वचन सार के हैं - परोपकार करो - पुण्य के लिए है ।। दूसरे को पीड़ा पहुँचाना - पाप के लिए है ।
संस्कृत श्लोक 3 .
विद्वित्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन् । स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।। 3 ।।
Meaning :- विद्वान् होना और राजा होना कभी भी समान नहीं है क्योंकि राजा की पूजा तो केवल अपने ही राज्य में होती है , जबकि विद्वान् की पूजा सब जगह होती है ।
संस्कृत श्लोक 4 .
एकेनापि सुपुत्रेण सिंही स्वपिति निर्भयम् ।। सहैव दशभिः पुत्रैः भारं वहति रासभी ।। 4 ।
Meaning:- एक अच्छा पुत्र होने से शेरनी वन में निडर होकर सोती है । परन्तु गधी दसियों पुत्रों के होने पर भी बोझा ढोती है ।
संस्कृत श्लोक 5 .
उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।5 ।।
Meaning :- कार्य परिश्रम से ही पूर्ण होते हैं , मन में सोचने से नहीं । जैसे सोते हुए सिंह के मुख में हिरण नहीं आते हैं ।
संस्कृत श्लोक 6 .
गच्छन् पिपीलिको याति योजनानां शतान्यपि ।। अगच्छन् वैनतेयोऽपि पदमेकं न गच्छति।।6 ।।
Meaning :- चलती हई चींटी भी सैकड़ों योजन चली जाती है , जबकि न चलने वाला गरुड़ एक कदम भी नहीं चल पाता ।
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