विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व यह है
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अनुशासन का अर्थ है स्वयं को कुछ नियमों से बांध लेना और उन्हीं के अनुसार कार्य करना । कुछ व्यक्ति अनुशासन की व्याख्या शासन का अनुगमन करने के अर्थ में करते हैं, परंतु यह अनुशासन का संकुचित अर्थ है । व्यापक रूप में अनुशासन सुव्यवस्थित ढंग से उन आधारभूत नियमों का पालन ही है, जिनके द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के मार्ग में बाधक बने बिना व्यक्ति अपना पूर्ण विकास कर सके। अनुशासन के अभाव में समाज में अराजकता और अशांति का साम्राज्य होता है । वन्य पशुओं में अनुशासन का कोई महत्व नहीं है, इसी कारण उनका जीवन और सुरक्षित आतंकित एवं अव्यवस्थित रहता है ।
सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ-साथ जीवन में अनुशासन का महत्व भी बढ़ता गया। आज के वैज्ञानिक युग में तो अनुशासन के बिना मनुष्य का कार्य भी नहीं हो सकता कुछ व्यक्ति सोचते हैं कि अब मानव सभ्यता सभ्य और शिक्षित हो गया है, उस पर किसी भी प्रकार के नियमों का बंधन नहीं होना चाहिए । लेकिन व्यक्ति को यह अधिकार दे दिया जाए तो चारों और वन्यजीव जैसी अव्यवस्था आ जाएगी । मानव सभ्य तभी तक रहता है जब तक वह अपनी सुप्रवृत्तियों की आज्ञा के अनुसार कार्य करें, इसलिए मानव के पूर्ण विकास के लिए कुछ बंधनों और नियमों का होना आवश्यक है।
अनुशासनबद्धता मानव जीवन के मार्ग में बाधक नहीं, अपितु उसको पूर्ण उन्नति तक पहुंचाने के लिए अनुकूल अवसर प्रदान करती है । अनुशासन के बिना तो मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती । विद्यार्थी जीवन में तो अनुशासन का बहुत महत्व है। आज अनुशासनहीनता के कारण साल में 6 महीने विश्वविद्यालयों में हड़तालें हो जाती हैं । तोड़फोड़ करना तो विद्यार्थी का कर्तव्य बन गया है छोटी-छोटी बातों में मारपीट की घटनाएं घटित होती हैं, जो सर्वथा अनुचित हैं । विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में अनुशासन का सर्वाधिक महत्त्व है जिसे देश और समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है ।