विद्यार्थी का प्रथम लक्ष्य विद्या ग्रहण करना है। राजनीति इनके लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकती। राजनीति वास्तव में छल-कपट और झूठ का खेल है। सत्ता पक्ष और विरोधी पक्ष इसके दो पाले होते हैं। इनके बीच सदा रस्साकशी चलती रहती है। यह सरल और शुद्ध मन वाले विद्यार्थी के बस का रोग नहीं। राजनीति छात्र के जीवन में पढ़ाई-लिखाई में बाधा डालती है। कई बार तो यह छात्रों को गुमराह भी कर देती है। अध्ययन पूरा करने के बाद व्यक्ति यदि समझता है कि उसे समाज के कार्यों में भूमिका का निर्वाह करना है वह स्वतंत्र है। किंतु पर्याप्त योग्यता प्राप्त करने के बाद ही यह उचित है| इससे पहले ही यदि इधर ध्यान आकर्षित हो गया तो मूल उद्देश्य ‘विद्या ग्रहण करना' पीछे छूट जाता है। छात्र जीवन में तो ध्यान ही एकमात्र ध्येय होना चाहिए।
a.
विद्यार्थी का प्रथम लक्ष्य क्या है?
[1]
b.
राजनीति वास्तव में कैसा खेल है?
[1]
c.
राजनीति के मुख्य पाले कितने और कौन-से होते हैं?
[2]
d.
सामाजिक भूमिका निभाने के लिए व्यक्ति के लिए क्या उचित है?
[2]
plese fast
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1 vidhya grahan krna
2 chal kapat aur jhut ka khel hai
3 do pale hote hai 1 satta paksh and 2 virodhi paksh
4 paryapt yogyata
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