विध्नों का दल चढ़ आए तो उन्हें देख भयभीत ना होंगे अब ना रहेंगे दलित दिन हम कहीं किसी से हिन न होंगे शुद्र स्वार्थ की खातिर हम तो कहीं ना ग्रहित कर्म करेंगे पुण्य भूमि यह भारत माता
जग कि हम हम तो भीख न लेंगे मिश्री मधु मेवा फल सारे देती हमको सदा यही है कदली चावल अन्य विविध और क्षीर सुधामय लुटा रही है
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