विधानसभा कौन-कौन से निर्वाचन कार्यों में भाग ले सकती है?
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विधानसभा निम्नलिखित निर्वाचन कार्यो में भाग ले सकती है।
- विधानसभा के सारे सदस्य जो विधायक कहलाते हैं, ये विधायक निर्वाचक मंडल के सदस्य भी होते हैं।
- विधान सभा के सदस्य (विधायक) राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, क्योंकि राष्ट्रपति के चुनाव में सांसदों और विधायकों का वोट पड़ता है।
- इसके अतिरिक्त विधान सभा के सदस्य राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव में भी भाग लेते हैं और भी अपने-अपने राज्य से राज्यसभा सदस्यों को चुनकर संसद के उच्च सदन राज्यसभा में भेजते हैं।
- विधानसभा के सदस्य (विधायक) सदन के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का निर्वाचन भी करते हैं।
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विधि निर्माण निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है
Explanation:
- वे चुनावी सीमा परिसीमन के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं। संघों में प्रत्येक उप-सरकार के लिए एक अलग निकाय हो सकता है।
- चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि वह चुनाव संबंधी गतिविधियों को क्रमबद्ध तरीके से करे। चुनाव संबंधी समस्याओं के लिए, चुनाव आयोग जिम्मेदार है।
- विधायिका का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कानून बनाना है। राज्य विधायिका में उन सभी वस्तुओं पर कानून बनाने की शक्ति है, जिन पर संसद कानून नहीं बना सकती है।
- इन वस्तुओं में से कुछ पुलिस, जेल, सिंचाई, कृषि, स्थानीय सरकारें, सार्वजनिक स्वास्थ्य, तीर्थयात्रा और दफन आधार हैं। कुछ विषय जिन पर संसद और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, वे हैं शिक्षा, विवाह और तलाक, वन और जंगली जानवरों और पक्षियों का संरक्षण।
- जैसा कि मनी बिल के बारे में है, स्थिति समान है। विधेयकों की उत्पत्ति केवल विधान सभा में हो सकती है।
- विधान परिषद बिल की प्राप्ति की तारीख के 14 दिनों के भीतर या तो बिल पास कर सकती है या 14 दिनों के भीतर उसमें बदलाव का सुझाव दे सकती है। इन परिवर्तनों को विधानसभा द्वारा स्वीकार किया जा सकता है या नहीं भी किया जा सकता है।
- राज्य विधायिका, कानून बनाने के अलावा, एक चुनावी शक्ति है, भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में। संसद के निर्वाचित सदस्यों के साथ विधान सभा के निर्वाचित सदस्य इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
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