विधवाविवाह संबंधी सुधारों का विवेचन करें
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शताब्दी में सामाजिक सुधार आन्दोलन ने मानवीय सम्बन्धों एवं मौजूदा वास्तविकताओं को कई प्रकार से प्रभावित किया। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण लैंगिक सम्बन्ध और समाज में विधवाओं की स्थिति थी। प्रत्येक व्यक्ति इस बात को महसूस कर रहा था कि वैधव्य जीवन एक सामाजिक बुराई है और इसे दूर किया जाना चाहिए। 1855 में हिन्दू पैट्रियाट ने लिखा था कि लेकिन समस्या यह है कि शेर को उसकी माँॅद में कैसे घेरा जाय? विधवाओं की स्थिति में सुधार हेतु प्राथमिक प्रयास राजा राममोहन राय की ओर से ही हुआ था। उन्होंने समाजोन्नति विधायिनी सुहृद् समिति की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार को विधवा पुनर्विवाह पर कानूनी रोक हटाने के लिए याचिका देना था। उन्नीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक में भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों से प्रकाशित पत्र-
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