विवेक सत्य को खोज निकलता है पर एक निबंध लिखें
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निबंध - विवेक सत्य को खोज निकलता है
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संसार के समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य ही है। मनुष्य के मानस की बड़ी शक्ति विवेक है, जिसके पीछे मन और बुद्धि की भूमिका शामिल है। मन को विचारों का पुंज कहा गया है। यह अपनी सोच से बाहरी दुनिया का अनुभव करता रहता है। बड़ी मुश्किल से मन टिकता है। जब मन सोच-विचारों को स्वीकार करता है तो इसका नियमन बुद्धि करती है, जिससे यह बुद्धि मन से जुड़ी हुई है। यही बुद्धि सुमति और कुमति दो रूपों वाली है। जो कर्म-क्रिया की प्रेरक है। बुद्धिमान व्यक्ति ही सुमति से अपने कायरें का सफल निष्पादन कर लेता है। सुमति सद्बुद्धि से विवेक और कुमति अविवेक देती है।
मनुष्य विवेक के आलोक में रहे तो बुद्धि सही निर्णय लेने में सफल हुआ करती है। लौकिक जगत की सांसारिक-भौतिक जरूरतें और आविष्कार जो मानवीय बुद्धि से लोगों तक पहुंचकर उपयोगी साबित हुए हैं। जैसे टीवी, उपग्रह यान, दूरसंचार प्रणाली आदि का होना आदि इसी बुद्धि कौशल के कारण संभव हुए हैं। सुमति या सद्बुद्धि सात्विक प्रवृत्ति की है। इसके विपरीत यह बुद्धि कुप्रेरणा और कुसंग के कारण दूषित हुई। इसी संसार में अनेक अच्छाइयों और बुराइयों के उदाहरण शामिल हैं। मनुष्य अपनी ग्रहणशीलता से कितनी अच्छाइयों को आत्मसात करता हुआ विवेकशील हो, यह उस पर निर्भर है। मनुष्य की श्रेष्ठता व सार्थकता विवेकपूर्ण जीवन जीने में है। विवेकशीलता के अभाव में मनुष्य सच्चा सुख और शांति से दूर होता जा रहा है। सत्कर्म का कारण बुद्धि की प्रेरक शक्ति विवेक ही है। जो सत्प्रेरणा के साथ उचित निर्णय करने में सहायक है। इसीलिए विवेकपूर्ण कृत्य के दोष रहित होने की संभावना बलवती बनी रहती है। वस्तुस्थिति का सही मूल्यांकन कर सकना, कर्म के प्रतिफल का गंभीरतापूर्वक निष्कर्ष निकालकर श्रेयस्कर दिशा देने की क्षमता केवल विवेक में होती है। उचित-अनुचित के सम्मिश्रण में से श्रेयस्कर को अपना लेना विवेक बुद्धि का कार्य है। विवेक के अभाव में सही दिशा का चयन नहीं हो सकता। मनुष्य विवेक द्वारा ही भावनाओं के प्रवाह और अति श्रद्धा या अंध श्रद्धा से बच सकता है। विश्वास का प्रयोग अपने से कहां तक और कितना किया जाता है, इसका निश्चय विवेक बुद्धि ही कराती है। विवेक जागरूकता की कुंजी है। विवेकशीलता को ही सत्य की प्राप्ति का साधन कहा जा सकता है |