वो वीर सपूत, CRPF के जवान जो हमारे लिए अपनी जान बलिदान कर दिए, उनके लिए एक एक कविता लिखिए।
Please don't copy, for the sake of patriotism.
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In today's world of rat race, we just wanna shine outwards buts its just different phenomenon for soldiers. They just live for us.As Without our parents, Life is not possible ,In Same Way Without Soldiers Our life is not possible
Just like in Black hole, Everything is black which is Eventually not black but its just like We can't see anything, Same Why Soldiers Caste Blind trust towards us by Radiating their full Superintensific muscular energy into battling for us.
Without them, We can't live for us
So, In last
Integration of us would make would make them differentiated and unique with respect to other countries
So Jai hind
Just like in Black hole, Everything is black which is Eventually not black but its just like We can't see anything, Same Why Soldiers Caste Blind trust towards us by Radiating their full Superintensific muscular energy into battling for us.
Without them, We can't live for us
So, In last
Integration of us would make would make them differentiated and unique with respect to other countries
So Jai hind
Anonymous:
Really a very nice ans ^_^
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35
:
1 ). हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए ।
हर सड़क, हर गली में, हर नगर, हर गांव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में ना सही तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।।
2 ). जिस धरती को तुमने सींचा
अपने खून पसीने से
हार गयी दुश्मन की गोली
वज्र तुम्हारे सीनों में
जब - जब उठी तुम्हारी बाहें, होता वश में काल है।
जिस धरती के लिए सदा
तुमने सब कुछ कुर्बान किया
सूली पर चढ़ - चढ़, हंस - हंसकर
कालकूट का पान किया
जब - जब तुमने कदम बढ़ाया, हुई दिशाएं लाल हैं।
उस धरती को टुकड़े - टुकड़े
करना चाह रहे दुश्मन
बड़े गौर से अजब तुम्हारी
चुप्पी थाह रहे दुश्मन
जाति - पाँति वर्गों - फिरकों के, वह फैलाता जाल है।
कुछ देशों की लोलुप नज़रें
लगी तुम्हारी ओर हैं
कुछ अपने ही जयचन्दों के
घर में बैठा चोर है।
सावधान कर दो उसको जो पहने कपटी खाल है।।
1 ). हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए ।
हर सड़क, हर गली में, हर नगर, हर गांव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में ना सही तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।।
2 ). जिस धरती को तुमने सींचा
अपने खून पसीने से
हार गयी दुश्मन की गोली
वज्र तुम्हारे सीनों में
जब - जब उठी तुम्हारी बाहें, होता वश में काल है।
जिस धरती के लिए सदा
तुमने सब कुछ कुर्बान किया
सूली पर चढ़ - चढ़, हंस - हंसकर
कालकूट का पान किया
जब - जब तुमने कदम बढ़ाया, हुई दिशाएं लाल हैं।
उस धरती को टुकड़े - टुकड़े
करना चाह रहे दुश्मन
बड़े गौर से अजब तुम्हारी
चुप्पी थाह रहे दुश्मन
जाति - पाँति वर्गों - फिरकों के, वह फैलाता जाल है।
कुछ देशों की लोलुप नज़रें
लगी तुम्हारी ओर हैं
कुछ अपने ही जयचन्दों के
घर में बैठा चोर है।
सावधान कर दो उसको जो पहने कपटी खाल है।।
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